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लघु कवितायें

नेताजी का शत्रु प्रेम

नेता
दल बदल रहे हैं
दलील है
हम शत्रुता भुलाकर
मित्रवत व्यवहार कर रहे हैं

जिंदगी

जिंदगी जी लें जी भर के आज
न जाने कल क्या हो जाए
ये वो बुलबुला है जो
न जाने कब फट जाए

शनि

रवि पुत्र शनि
चाहने वालों को
बना देता है धनी

दीदार

जबसे तेरा
दीदार हुआ है
जिंदगी में
रस आने लगा है

जवानी

आँखों से नींद गायब
रातें कटती नही
हाय ये जवानी भी
क्या चीज है .........

कुछ कवितायें

चिराग

बनके चिराग
मन का अँधेरा दूर करो
कुछ ऐसे भी दिल होते हैं
जहाँ रौशनी नही होती।

उम्मीद

उम्मीद के दिए
हमेशा जलाके रखो
न जाने कब
दिवाली दस्तक दे जाए ।

जिंदगी

जिंदगी
कागज़ की नाव
न जाने कब डूब जाए
कहो तो आज
जश्न मानलें ।


धुआं

उठती हुई लपटें
और गहराता धुआं
आज ये शहर शांत सा क्यों है....

आतंक की चिंगारी ने
सब कुछ छीन लिया है.....

फिक्र

दुनिया ने मुझे क्या दिया
इसकी फिक्र नहीं मुझे ...

दुनिया को क्या दे सकता हूँ
इसकी फिक्र है मुझे .......

ये क्या हो रहा है

ये क्या हो रहा है
नेता जी परेशान हैं
और वोटर लाल हो रहा है
आरे यार "चुनाव" पास आ रहा है

इस जोड़ तोड़ की राजनीती में
कोई नही होती है नीति
हर किसी को है सीट से प्रीती
हर कोई हतियाने में लगा है

नेता लड़ रहे हैं
तू मुझे "ये" देगा तो में गठबंधन करूँगा
नहीं तो अकेले हे लडूंगा

वोटर परेशान है हैरान है
इधर कुआ उधर खाई है
वोट लेने वाला अभी भाई है
बाद में कसाई है

याद रख मेरे दोस्त
बकरे का तो एक ही दिन
कटने का होता है

उठ जा जाग जा
और बगावत कर
वोट का उपयोग कर ............

जीवन के रंग

जीवन के रंग

में देखता हूँ
रोटी को तरसते बच्चे
दूध पीते कुत्ते
इलाज की आशा में
लुटता मरीज
धनवान होता डॉक्टर
पैसों के लिए
जमीर बेचती औरत
दरिंदा बना आदमी
सरकारी दफ्तर में
रोता गरीब
दादागिरी करता अफसर
में सोचता हूँ
जीवन के रंग
कितने अजीब

कवितायें

नेता जी की जीत

जीत के बाद नेता जी
नेता के मन मैं
आ जाती है खोंट
जब उसे मिल जाते है वोट
जीत के बाद
जनता के मतदान से
देश के नव निर्माण के नाम पर
फिर जनता को जम कर लूटते है ।


दहेज

दहेज के अभाव में
गरीब की बछिया
कसाई को
सोप दी जाती है ।


नेताओं की चाल

जब तक हिन्दू मुस्लिम
आपस मे लड़ते रहेंगे
तब तक नेताओं से
लुट्ते रहेंगे


नेता जी की जीत का जश्न

नेताजी की जीत की खुशी
राज्य में भयंकर सूखा पडा था
खेत नदी बावडी सब सुख गये थे
पीने का पानी खत्म हो गया था
निरीक्शण पर आये
नेताजी आगमन पर
जम के शराब परोसी गयी
रात भर सब मदहोश थे
अगले दिन अखबारों में
मोटे मोटे अक्शरों में खबर छपी थी
कि पानी की कमी से 18
दारू पीने से 150

जीके इंडियन

अपनापन

अपनापन 

दे सको तो
प्यासे को पानी
भूखे को रोटी दो
और कुछ भी न दे सको तो
अपनेपन से आंसू ही पोंछ दो ।

-

छोटी कवितायें

शरद उत्सव
(गरीब का महोत्सव )

आओ मित्रों
अलाव जलाएं
कुछ दुःख सुख तुम कहो
कुछ हम कहें
मिलकर शरद महोत्सव मनाएं


घर

सोने को
मखमली घास
ओड़ने को आकाश
यही है गरीब का संसार

जख्म

शरीर के गहरे जख्म
माथे पर दुःख की लकीर
जुल्म की अनकही
दास्ताँ कह जातें हैं।


नेता
जनता भूख से कम
नेता के
झूटे वादों से ज्यादा मरती है ।

धन

तू है तो
जन्नत है
तू नही
तो कुछ भी नही .

समय और तुम

समय और तुम

समय सब कुछ है
जैसे हर बात के लिए एक समय होता है
एक समय मरने के लिए एक समय पैदा के लिए
एक समय जीने के लिए एक समय मरने के लिए
एक समय निर्माण के लिए और एक समय तोड़ने के लिए
एक समय हसने के लिए एक समय रोने के लिए
उदास होने के लिए भी एक समय है तो एक बार हसने के लिए
एक समय है पत्थर इकट्ठा करने के लिए एक एक समय है पत्थर फेंकने के लिए
एक समय है खोने के लिए एक समय है पाने के लिए
एक समय है बोलने के लिए एक समय है मौन रहने के लिए;
एक समय है नफरत करने के लिए एक समय है प्यार करने के लिए
युद्ध के लिए भी एक समय है, और शांति के लिए भी एक समय है.
दोस्तों हर चीज के लिए समय है
आओ समय का सदुपयोग करें।

शान्ति

शांति 

शांति
आतंक या भय का उत्पाद नहीं है.
शांति
कब्रिस्तान की खामोशी नहीं है.
शांति
हिंसक दमन की मूक परिणाम नहीं है.
शांति
सभी की भलाई के लिए उदार, शांत योगदान है.
आओ हम इसे महसूस करें

शांत रहो

शांत रहो

अस्पताल के
एक कोने में लिखा है
" कृपया शांत रहो "
में अक्सर सोचता हूँ
ये किसके लिए लिखा होगा
डॉक्टर , नर्स या मरीज के लिए ।


आतंक

आतंक

इतिहास गवाह है की
तख्तो ताज के लिए
बहादुर युद्ध किया करते थे
लेकिन आज
आतंकवाद के नाम पर
" कायर "
बेगुनाहों को मार देते हैं .


विचित्र जीवन

विचित्र जीवन

अस्पताल के जनरल वार्ड में
सफ़ेद चादर पर
अर्धनिद्रा में लेटी हुई
वह सोचती है
" प्रभो ये भयंकर तकलीफ सही नहीं जाती "
" उठा ले "

उसी वार्ड के एक कोने में
२ साल का बच्चा
जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है
जिसकी की तो अभी सुबह हुई है

वह सोचती है
"जीवन कितना विचित्र है "

सुख दुःख

सुख दुःख

सुख और दुःख तो आतें हैं
और चले जाते हैं
दुःख जीवन की पहचान है
और दुःख से मिला सुख
जीवन का असीम आनंद है ।


पड़ोसी

पड़ोसी

हमारे पड़ोसी देश से
हमारी खुशी देखी नही जाती
इसलिए हर बार
रिश्तों में कडुवाहट
भर देता है ।


राजनीती

राजनीती

अब कितने आतंक
और कितनी मौतें
में अक्सर नेताओं से पूछता हूँ
कब तक ये सब चलेगा
क्या सीखने के लिए
संसद पर आतंक काफी नही
सोचो मत कुछ करो
लेकिन लाशो पर
गन्दी राजनीती मत करो


आधुनिक कवितायें

आधुनिक कवितायें

बेटा
समझदार हो तो
सौभाग्य
बिगरा हो तो
दुर्भाग्य

पत्नी

फार्माइसों की
एक पूरी लिस्ट

पति

बाहर शेर
घर में ढेर

घर

परिवार का
मिलन स्थल

रिश्तेदार

दिखने को
सुख दुःख में भागीदार
पर अन्दर से
खट्टा आचार

जाति

नेतागिरी का
जबरदस्त हथियार

तलाक
तेरे मेरे सपनों का
ख़त्म हुआ संसार

बहू
परिवार के साथ रहूँ
या पति को अलग ले जाऊं

दोस्ती
की नही जाति
बस हो जाति है
कसम खाने के लिए।

अस्पताल

जेब खोलो
और भर्ती हो जाओ
जेब खाली हो तो
बहार जाओ

नेता

नेता

बस एक बार
वोटों की भीख मांगता है
और बाद में हमसे मंगवाता है
जाने क्यों ये
गिरगिट की तरह रंग बदलता है


घाटी

घाटी 

ओ चित्रकार
आज चित्रमय हो गई है
यह कुसुमित घाटीबैठकर एक चित्र बनाये

ओ संगीतकार
आज संगीत से भर गई है
यह संगीतमय घाटी
आओ मिलकर कोई गीत गएँ

ओ पथिक
प्रकृति की गोद है
ये कुसुमित घाटी
आओ कुछ क्षण विश्राम करें

ओह कवि
आज कवितामय हो गई
यह कुसुमित घाटी
आओ कोई कविता लिखें।
आओ कोई कविता लिखें ॥
----  मेरा एक प्रयास 

फूल

फूल

मत तोड़ो फूलों को
महकने दो इन्हें भी
क्योंकि
चमन इनके लिए ही बना है