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गणेश चतुर्थी

चित्र: गूगल के सौजन्य से

गणेश चतुर्थी : 19.09.2023

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा
अर्थात : घुमावदार सूंड वाले, विशालकाय शरीर, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली, मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करें.

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते
अर्थात :  विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओं से परिपूर्ण, जगत् का हित करने वाले, गज के समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित शिवपार्वती पुत्र को नमस्कार है ; हे गणनाथ ! आपको नमस्कार है.

अमेयाय च हेरम्ब परशुधारकाय ते
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः
अर्थात : हे हेरम्ब ! आपको किन्ही प्रमाणों द्वारा मापा नहीं जा सकता, आप फरसा धारण करने वाले हैं, आपका वाहन मूषक है. आप विश्वेश्वर को बारम्बार नमस्कार है.

एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने
अर्थात :  एक दाँत और सुन्दर मुख है, जो शरणागत भक्तजनों के रक्षक तथा प्रणतजनों की पीड़ा का नाश करनेवाले हैं, उन शुद्धस्वरूप आप गणपति को बारम्बार नमस्कार है.

एकदंताय विद्‍महे। वक्रतुण्डाय धीमहि
तन्नो दंती प्रचोदयात
अर्थात :एक दंत को हम जानते हैं। वक्रतुण्ड का हम ध्यान करते हैं। वह दन्ती (गजानन) हमें प्रेरणा प्रदान करें.

ॐ श्री गणेशाय नमः