लघु कथाएं .....................
किसके लिए
“माँ मैं में ये बच्चा पैदा नहीं कर
सकती मैंने इस बारे में रोहित को भी बता दिया है" अदिति ने अपनी सास को दो टूक भाषा
में कहा तो सास की तो सांस ही अटक गयी
“बेटा ऐसा मत करो हमारा वंश कैसे
बढेगा" इस
बार सास की गिडगिडाने की बारी थी
“ नहीं माँ जी ये नहीं हो सकता.,
आपको मालूम है इस बार
में कंपनी में डाइरेक्टर बन जाओंगी फिर मेरे पास पैसा और रूतबा दोनों होगा"
बहू ने मोटा दाव फेका
“किसके लिए इतना धन इकठ्ठा करेगी जब
तेरे मरने के बाद कोई खाने वाला ही नहीं होगा " इस बार सास जोरों से गुर्राई
दोनों तरफ अजीब सा बहुत गहरा
सन्नाटा था
उपहार
"सुनो आज मेरे भाई की लड़की का
जन्मदिन है उसे सोने का टॉप्स दे दूँ तो कैसा रहेगा" पत्नी ने अंगुली नाचते हुए कहा
“जरूर दो भई, तुम्हे कौन रोक सकता है"
पति ने मन मसोसते हुए
कहा
और अपने आप को कोसने लगा "साला जब मैंने अपने भाई की लड़की को
उसके जन्म दिन पर २०० रूपये देना चाह रहा था तब इसको सांप सूंघ गया था कितनी आँखें
नाचाइ थीं क्या उपहार भी रिश्ते देख कर दिया जाता है”
ये पतिदेव की समझ से परे था
प्रसाद
मंदिर में बहुत भीड़ थी नहीं लगता था
की एक घंटे में नंबर आयेगा हाथ में प्रसाद और माला लिए अंकित परेशान हो रहा था
उसने अपनी पत्नी सुरभि से कहा "लगता है बहुत समय लगेगा कहो तो फिर कभी
आजाते हैं भगवान् थोड़ी कहीं जाने वाले हैं " भरे मन से सुरभि ने कहा "ठीक है जैसा आप ठीक समझो"
यह सुनकर अंकित को
अच्छा लगा आजकल ऐसे समझोता करने वाली पत्नियाँ मिलती कहा हैं.
"बाबा सच में बहुत भूखा हूँ कुछ भी
दे दो" दुबला
पतला पैरों से लाचार भिखारी लाइन में लगे लोगों से मांग रहा था अंकित ने अपने हाथ
में मिठाई का डिब्बा देखा और उसकी लाचार व् दयनीय स्थिति को देखा.. थोडा ठिठका फिर उसकी ओर डिब्बा
बढाया और बोला "ले
ये भोले का प्रसाद है"
चुप्पी तोड़ते हुए सुरभि ने कहा “सुनो आज आपने इस गरीब को
प्रशाद देकर शिव जी की सच्ची पूजा की है .. साक्षात् भगवन के दर्शन हो गए हैं चलो अब घर
चलते हैं" दोनों
ख़ुशीयों भरे मन से घर को ओर बढ़ रहे थे
दहेज़
“सुनो शर्मा जी ने अपने लड़के की शादी
में दहेज़ लेने से मना कर दिया .. मालूम है लड़की वाले बहुत अमीर हैं और मालूम है वो बहुत बड़ी गाडी
भी दे रहे थे " पत्नी
ने अपने पति सुधीर से कहा
“तो क्या हुआ अच्छी बात है दहेज़ लेना
सामाजिक और कानूनी अपराध है" इस बार सुधीर ने कहा तो पत्नी सुनंदा गुर्रा पड़ी " हूँ ये तो शर्मा जी ने बडी बेेवकूफी
की है अरे हाथ आई लक्ष्मी को ठुकरा दिया ये शर्मा जी तो एक नंबर के बेवकूफ निकले "
सुनंदा हँसे जा रही थी
“एक बात पूछूँ.. क्या तुम अपनी लड़की की शादी में बड़ी
गाडी और मोटा दहेज़ दे सकती हो, नहीं ना मालूम है दुनिया शर्माजी जैसे कुछ अच्छे लोगों की वजह
से टिकी हुई है समझे" इस
बार सुधीर ने कहा तो सुनंदा को बोलती बंद हो गई