चिराग
बनके चिराग
मन का अँधेरा दूर करो
कुछ ऐसे भी दिल होते हैं
जहाँ रौशनी नही होती।
उम्मीद
उम्मीद के दिए
हमेशा जलाके रखो
न जाने कब
दिवाली दस्तक दे जाए ।
जिंदगी
जिंदगी
कागज़ की नाव
न जाने कब डूब जाए
कहो तो आज
जश्न मानलें ।
धुआं
उठती हुई लपटें
और गहराता धुआं
आज ये शहर शांत सा क्यों है....
आतंक की चिंगारी ने
सब कुछ छीन लिया है.....
फिक्र
दुनिया ने मुझे क्या दिया
इसकी फिक्र नहीं मुझे ...
दुनिया को क्या दे सकता हूँ
इसकी फिक्र है मुझे .......
बनके चिराग
मन का अँधेरा दूर करो
कुछ ऐसे भी दिल होते हैं
जहाँ रौशनी नही होती।
उम्मीद
उम्मीद के दिए
हमेशा जलाके रखो
न जाने कब
दिवाली दस्तक दे जाए ।
जिंदगी
जिंदगी
कागज़ की नाव
न जाने कब डूब जाए
कहो तो आज
जश्न मानलें ।
धुआं
उठती हुई लपटें
और गहराता धुआं
आज ये शहर शांत सा क्यों है....
आतंक की चिंगारी ने
सब कुछ छीन लिया है.....
फिक्र
दुनिया ने मुझे क्या दिया
इसकी फिक्र नहीं मुझे ...
दुनिया को क्या दे सकता हूँ
इसकी फिक्र है मुझे .......
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें