विचित्र जीवन
अस्पताल के जनरल वार्ड में
सफ़ेद चादर पर
अर्धनिद्रा में लेटी हुई
वह सोचती है
" प्रभो ये भयंकर तकलीफ सही नहीं जाती "
" उठा ले "
उसी वार्ड के एक कोने में
२ साल का बच्चा
जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है
जिसकी की तो अभी सुबह हुई है
वह सोचती है
"जीवन कितना विचित्र है "
अस्पताल के जनरल वार्ड में
सफ़ेद चादर पर
अर्धनिद्रा में लेटी हुई
वह सोचती है
" प्रभो ये भयंकर तकलीफ सही नहीं जाती "
" उठा ले "
उसी वार्ड के एक कोने में
२ साल का बच्चा
जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है
जिसकी की तो अभी सुबह हुई है
वह सोचती है
"जीवन कितना विचित्र है "
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