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गुलज़ार की शायरी

गुलज़ार की शायरी...

मैं हर रात 
सारी ख्वाहिशों को 
खुद से पहले सुला देता हूँ 
मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले 
जाग जाती है....
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
आदत इस की भी आदमी सी है... 
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा...
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
आप के बाद हर घड़ी हमने
आप के साथ ही गुज़ारी है...
😌😌😌😌😌😌😌😌😌
बहुत अंदर तक 
जला देती हैं वो शिकायते 
जो बया नहीं होती.....
😌😌😌😌😌😌😌😌😌
कोई पुछ रहा हैं मुझसे 
मेरी जिंदगी की कीमत 
मुझे याद आ रहा है 
तेरा हल्के से मुस्कुराना....
😌😌😌😌😌😌😌😌😌
बिगड़ैल हैं ये यादे
देर रात को टहलने निकलती है...
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
कभी जिंदगी
एक पल में गुजर जाती हैं 
और कभी जिंदगी का 
एक पल नहीं गुजरता....
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं
रात भी आयी और चाँद भी था 
मगर नींद नहीं...
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
कुछ बातें 
तब तक समझ में नहीं आती 
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे....
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
हम तो समझे थे कि
हम भूल गए हैं उनको 
क्या हुआ आज ये 
किस बात पे रोना आया?...
☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️