माथे की बिंदी हिंदी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
माथे की बिंदी हिंदी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

हिन्दी दिवस


हिंदी दिवस...

आज 14 सितंबर है इस दिन को हम हिंदी दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं. लेकिन हिंदी को जो सम्मान मिलना चाहिए वो आज भी नहीं मिल पाया है और इसके लिए सरकार के साथ हम सब भी जिम्मेदार हैं.

हर वर्ष भाषण होते है, घोषणाएं होती है और फिर वही पुराना हाल. हमारे देश में घोषणाएं तो तेजी से होती हैं लेकिन उनपर अमल नहीं होता है आज भी भारत में अंग्रेजी हिंदी पर हावी रहती है. हमारे नेता लोग, लेखक, शिक्षक, उपन्यासकार, साहित्यकार और विभिन्न राज्यों के लोग अंग्रेजियत अपनाने लगे हैं और इसे अपनी शान भी समझते है. बड़ी हंसी आती है जब हिंदी भाषी हिंदी को भी अंग्रेजी स्टाइल से बोलते हैं जैसे अभी अभी भारत में प्रवेश किया हो.

हिंदी को प्रभावी बनाने के लिए सरकार को हर राज्य में हिंदी विश्वविद्यालय खोलने चाहिए और प्रकाशन विभाग को हिंदी में सस्ता साहित्य उपलब्ध कराना चाहिए. विदेशी साहित्यों का अनुवाद भी उपलब्ध कराना चाहिए. हिंदी काव्य पाठ और हिंदी लेखकों का सम्मान करना चाहिए. सरकारी कार्यालयों, बैंकों और निजी क्षेत्रों में हिन्दी को प्रोत्साहन देना चाहिए. हिन्दी पत्र पत्रिकाएं जो धीरे धीरे लुप्त हो रहीं है इनको वित्तीय सहायता देकर दुबारा चलाना चाहिए. सरकारी पत्रिकाओं का हिंदी संस्करण का प्रचार प्रसार करना चाहिए. हिंदी लेखन, इबुक्स, पीडीएफ बुक्स और पठन सामग्री के सॉफ्टवेयर बनाने चाहिए और उनका प्रचार प्रसार करना चाहिए.

कुछ भी हो लेकिन मुझे तो मेरी मातृभाषा सबसे महान लगती है और में अपने ब्लॉग, लेखों और कविताओं में हिंदी को ज्यादा महत्व देता हूं. मेरी हिंदी मेरी मात्रभाषा ही नहीं मेरी भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम भी है.

आओ हिंदी अपनाएं.........

भारत के माथे की शान है हिन्दी
भावनाओं से भरी अनूठी है हिंदी
तुम भी पढ़ो हम भी पढ़ें हमारी हिंदी
हम सबको साथ लेकर चलती है हिन्दी
पंत, तुलसी, कबीर को भी थी प्यारी हिंदी
किसी भी भाषा की बैरी नहीं है ये हिंदी
बल्कि सभी को सीखने बुलाती हिंदी
मुझे तो प्यारी लगती है मेरी प्यारी हिंदी
यही तो है भारत माता के माथे की बिंदी
हे मातृभाषा सदा आपकी जय हो जय हो...