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लाल किला, दिल्ली

दिल्ली की शान
ये है लाल किला मेरीजान...

चित्र : लाल किला का बाहरी विहंगम दृश्य 

लाल किला जिसको किला ए मुबारक और रेड फोर्ट भी कहा जाता हैं. भारत की राजधानी दिल्ली के नेताजी रोड पर स्थित यह भारत का एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण किला है जिसको मुगल बादशाह शाहजहाँ ने 17वीं शताब्दी में बनवाया था. लाल किले के आर्किटेक उस्ताद अहमद लाहौरी को माना जाता है जिनकी देख रेख में इस किले का निर्माण किया गया है.

चित्र : किले का प्रवेश द्वार "लाहौरी गेट "

लाल किला लाल रंग के बलुआ पत्थर से बना होने के कारण इसका नाम लाल किला या रेड फोर्ट पड़ा . लाल किला वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है जहां भारतीय, इस्लामिक और यूरोपीय शैलियों का मेल देखा जा सकता हैं.

चित्र : विक्टोरिया आर्टिकेक्चर की झलक

आज की तारीख में लाल किला दिल्ली का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल जहां हर साल लाखों देशी विदेशी पर्यटक इसे देखने आते हैं. भारत सरकार ने इसे एक स्मारक के रूप में संरक्षित किया है जिसे 2007 में यूनेस्को ने भी विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्रदान की है.

चित्र : किले के अंदर पुरातत्व संग्रहालय 

सूचनाओं के अनुसार लाल किले का निर्माण 1638 से 1648 के दौरान हुआ था शाहजहां एक नई राजधानी का निर्माण शाहजहाँनाबाद के नाम से करवाना चाहते थे क्योंकि वह अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली शिफ्ट करना चाहते थे इसलिए उन्होंने इस लाल किले का निर्माण करवाया. इस किले में शाहजहां ने कई महल बनवाये जिनमें सबसे से प्रसिद्ध दीवान-ए-आम, दीवान-ए-ख़ास, नौबत खाना और अन्य स्मारक प्रसिद्ध है.

चित्र : दीवाने खास महल (विशिष्ट मेहमानो के लिए बैठक खाना)

लाल किले को भारतीय इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है यह जगह मुगल साम्राज्य की शक्ति और वैभव का प्रतीक माना जाता है साथ ही यह किला कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी भी रहा है, जिनमें सन 1857 का सिपाही विद्रोह भी शामिल था. 

चित्र : आजाद देश के प्रथम दिन का अखबार

आज इस भव्य लाल किले के अंदर बहुत से सुंदर संग्रहालय भी हैं जहां मुगल राजशाही और ब्रिटिशर्स के खिलाफ गहरे संघर्ष की दास्तान को चित्रों और चलचित्रों के माध्यम से दिखाया गया है. यह भी ज्ञात रहे सन 1947 यानी आजादी के बाद लाल किले का इस्तेमाल सैनिक प्रशिक्षण के लिए भी किया जाने लगा था जिसे 2003 में दिल्ली पर्यटन विभाग को सौंप दिया गया था.

चित्र : अंग्रेजों भारत छोड़ो ये चलो दिल्ली 

यही वह ऐतिहासिक लाल किला है जहां 15 अगस्त 1947 के दिन स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय तिरंगा झंडा फहराया गया था और आज भी हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत देश के प्रधानमंत्री यहां ध्वजा रोहण के बाद भारत देश की आम जनता को संबोधित करते हैं.