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फिल्मी शायरी

Filmi Shyari 
फिल्मी शायरी .......

“वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन 
 उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा…”
 -साहिर लुधियानवी

“देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से 
 चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से…”
 -साहिर लुधियानवी

"ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है 
 क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम…”
 -साहिर लुधियानवी

“मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया 
 हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया…”
-साहिर लुधियानवी

“इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथ 
 जैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से…”
-साहिर लुधियानवी

“तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूँडो 
 चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है…”
-साहिर लुधियानवी

“बे पिए ही शराब से नफ़रत 
 ये जहालत नहीं तो फिर क्या है…”
-साहिर लुधियानवी

“हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को 
 क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया…”
-साहिर लुधियानवी

“ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ 
 मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया…”
-साहिर लुधियानवी

आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें 
 हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं…”
-साहिर लुधियानवी

“तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं 
 महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है…”
-साहिर लुधियानवी

“फिर खो न जाएँ हम कहीं दुनिया की भीड़ में 
 मिलती है पास आने की मोहलत कभी कभी…”
-साहिर लुधियानवी

“हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत 
 देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम…”
-साहिर लुधियानवी

“गर ज़िंदगी में मिल गए फिर इत्तिफ़ाक़ से 
 पूछेंगे अपना हाल तिरी बेबसी से हम…”
-साहिर लुधियानवी

“इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर 
 हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़…”
-साहिर लुधियानवी

उन के रुख़्सार पे ढलके हुए आँसू तौबा 
 मैं ने शबनम को भी शोलों पे मचलते देखा…”
-साहिर लुधियानवी


“बर्बादियों का सोग मनाना फ़ुज़ूल था 
 बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया…”
-साहिर लुधियानवी

“तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही 
 तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ…”
-साहिर लुधियानवी

“तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम 
 ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम…”
-साहिर लुधियानवी

“कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त 
 सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया…”
-साहिर लुधियानवी

अरे ओ आसमां वाले बता इस में बुरा क्या है
ख़ुशी के चार झोंके गर इधर से भी गुज़र जाएं
-साहिर लुधियानवी


तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जाएं
वही आंसू वही आहें वही ग़म है जिधर जाएं
-साहिर लुधियानवी

पेड़ों के बाज़ुओं में महकती है चांदनी
बेचैन हो रहे हैं ख़यालात क्या करें
-साहिर लुधियानवी

ज़मीं ने ख़ून उगला आसमाँ ने आग बरसाई
जब इंसानों के दिल बदले तो इंसानों पे क्या गुज़री
-साहिर लुधियानवी

फिर खो न जाएँ हम कहीं दुनिया की भीड़ में
मिलती है पास आने की मोहलत कभी-कभी

कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता
वही बेगाने चेहरे हैं जहाँ जाएँ जिधर जाएँ
-साहिर लुधियानवी

कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया 
बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया 
-साहिर लुधियानवी

कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त 
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
-साहिर लुधियानवी

लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उमीद 
लो अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम 
-साहिर लुधियानवी

चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है 
जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे ग़ुरूर आ जाता है
 -साहिर लुधियानवी



हम पास से तुम को क्या देखें तुम जब भी मुक़ाबिल होते हो 
बेताब निगाहों के आगे पर्दा सा ज़रूर आ जाता है 
-साहिर लुधियानवी

जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला
मरने का सलीक़ा आते ही जीने का शुऊ'र आ जाता है
-साहिर लुधियानवी

तिरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जाएँ
वही आँसू वही आहें वही ग़म है जिधर जाएँ
-साहिर लुधियानवी

कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता
वही बेगाने चेहरे हैं जहाँ जाएँ जिधर जाएँ
-साहिर लुधियानवी

अरे ओ आसमाँ वाले बता इस में बुरा क्या है
ख़ुशी के चार झोंके गर इधर से भी गुज़र जाएँ
-साहिर लुधियानवी
सदियों से इंसान ये सुनता आया है
दुख की धूप के आगे सुख का साया है
हम को इन सस्ती ख़ुशियों का लोभ न दो
हम ने सोच समझ कर ग़म अपनाया है
-साहिर लुधियानवी

झूट तो क़ातिल ठहरा इस का क्या रोना
सच ने भी इंसाँ का ख़ूँ बहाया है
-साहिर लुधियानवी

मुझे देवता बनाकर, तेरी चाहतों ने पूजा
मेरा प्यार कह रहा है,
मैं तुझे खुदा बना दूँ
-साहिर लुधियानवी

मेरे बाज़ुओं मे आकर, तेरा दर्द चैन पाए 
तेरे गेसुओं मे छुपकर,
मैं जहाँ के ग़म भुला दूँ
-साहिर लुधियानवी


कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिये 
तू अबसे पहले सितारों में बस रही थी कहीं 
तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये 
-साहिर लुधियानवी

अच्छों को बुरा साबित करना
दुनिया की पुरानी आदत है
इस मय को मुबारक चीज़ समझ
माना की बहुत बदनाम है ये,
-साहिर लुधियानवी
 
कितने जलवे फ़िज़ाओं में बिखरे मगर
मैने अबतक किसीको पुकरा नहीं
तुमको देखा तो नज़रें ये कहने लगीं
हमको चेहरे से हटना गवारा नहीं
-साहिर लुधियानवी

तुम अगर मेरी नज़रों के आगे रहो
मैन हर एक शह से नज़रें चुराता रहूँ, 
-साहिर लुधियानवी

देखो अभी खोना नहीं, 
कभी जुदा होना नहीं 
हरदम यूँ ही मिलते रहेंगे 
-साहिर लुधियानवी