लघु कवितायें

नेताजी का शत्रु प्रेम

नेता
दल बदल रहे हैं
दलील है
हम शत्रुता भुलाकर
मित्रवत व्यवहार कर रहे हैं

जिंदगी

जिंदगी जी लें जी भर के आज
न जाने कल क्या हो जाए
ये वो बुलबुला है जो
न जाने कब फट जाए

शनि

रवि पुत्र शनि
चाहने वालों को
बना देता है धनी

दीदार

जबसे तेरा
दीदार हुआ है
जिंदगी में
रस आने लगा है

जवानी

आँखों से नींद गायब
रातें कटती नही
हाय ये जवानी भी
क्या चीज है .........

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