शरद ऋतु....
हरी घास पर
इठलाती हैं
बूंदेंओस की
शरद ऋतु आयी
मन मुस्काया।
मैने छुआ धरती को
अम्बर पर सूरज मुस्काया
गुलाबी शहर की गुलाबी ठंडक
दिसम्बर भी मुस्काया ।।
धूप लगी गुनगुनाने
गीत पुराना याद आया
मौसम ने बदली करवट
लो मूंगफली गज़क का
मौसम है आया ।
गुजर रहा है ये साल
अब नववर्ष मुस्कायेगा
आओ स्वागत करें
इस नववर्ष का
ये भरपूर खुशियाँ लाएगा