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मधुशाला

मधुशाला
शराब तो यूं ही बदनाम है

जब से जुदा हुए हैं
वो हम से
हमे तो अब ईश्क़ हो गया है,
शराब से 
रोज मिला करती है अब वो
मयखाने में .......


शराफत 
सीख ली है हमने 
शराब से,
बोतल के अलावा
निगाहें अब
कहीं और नहीं टिकती...


वो जो हमको 
खराब कहते है
वो खुद शराब पीते हैं
वो भी छुप छुप के...


हर किसी के पास
एक साथी तो है
मेरा साथी तो 
अब शराब है
और मेरा घर ही है
मेरी मधुशाला...

कविताएं

यारो...
ओल्ड मोंक और तन्हाई का
अपना ही अलग अंदाज है
दोनों अपनी अपनी मस्ती में मस्त..
😊😊😊

जीवन मरण की 
चिंता छोड़ो
ले आओ साकी 
ओल्ड मोंक का प्याला
नाचेंगे, गाएंगे और झूमेंगे 
जम के आज
ना जाने कल क्या है होने वाला...
😊😊😊😊😊

सजी है संवरी है 
रंगीन बोटल में 
ओल्ड मोंक हाला .....
ले आओ साकी
मेरा प्याला
फिर से  इस बूढ़े साधू ने
इमोशनल कर डाला.....
😆😆😆



ये तन्हा शाम 
जब भी आती है
यादों के चिराग़ 
जल उठते हैं...
😍😍🙂


जिंदगी चलती रही
हम कविता गढ़ते रहे
जिंदगी एक किताब 
ना जाने कब पूरी हो जाय...
🙏🕉️🙏

मधुशाला

मधुशाला....

मैं औऱ मेरी तनहाई,
अक्सर ये बाते करते है

ज्यादा पीऊं या कम,
व्हिस्की पीऊं या रम

या फिर तोबा कर लूं,
कुछ तो अच्छा कर लूं

हर सुबह तोबा हो जाती है,
शाम होते होते फिर याद आती है

क्या रखा है जीने में,
असल मजा है पीने में

फिर ढक्कन खुल जाता है,
फिर नामुराद जिंदगी का मजा आता है

रात गहराती है,
मस्ती आती है

कुछ पीता हूं,
कुछ छलकाता हूं

कई बार पीते पीते,
लुढ़क जाता हूं

फिर वही सुबह,
फिर वही सोच

क्या रखा है पीने में,
ये जीना भी है कोई जीने में

सुबह कुछ औऱ,
शाम को कुछ औऱ

थोड़ा गम मिला तो घबरा के पी गए, 
थोड़ी ख़ुशी मिली तो मिला के पी गए, 

यूँ तो हमें न थी ये पीने की आदत... 
शराब को तनहा देखा तो तरस खा के पी गए ...


मधुशाला



मधुशाला...

ये एकाकीपन
पीने की अभिलाषा 
प्यालों की आतुरता 
अधरों की भाषा
कहाँ है मधुशाला
ले आओ साकी
भर भर के प्याला
ना जाने कल
क्या है होने वाला.........

🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂

आज बूढ़ा साधू बोला
बालक कौन हो तुम ?
मैने कहा, 
गुरुवर प्रणाम
आपका हमेशा से
सानिध्य चाहने वाला...

(ओल्ड मोंक प्रेमियों को समर्पित....)

🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂

मधुशाला



मधुशाला...

जो पीता नहीं है ; हाला..
उसको दे दो 
एक ओल्ड मोंक वाला प्याला.
उसका हर पल होगा मतवाला..
फिर पूछेगा : 
कहाँ है मेरी मधुशाला..

🙂🙂🙂🙂🙂😊😊

मधुशाला से निकलते ही
लड़खड़ाये थे कुछ कदम भी
गिरे फिर सम्हल भी गए ..
खुश हैं फिर भी आज हम...
अरे बाबा महफूज़ भी हैं
लोगों की नज़रों में आज भी..

😆😆🙂🙂🙂🙂🙂




मधुशाला

मधुशाला

बहुत दिनों के बाद
मुलाकात हुई तुमसे
होंठ कापें 
हाथ भी थरथराये....
फिर दिल ने कहा
ए "ओल्ड मोंक" 
तुम बिन 
जाएं भी तो 
जाएं कहाँ..
😊😊😊😊

उफ...घना अंधेरा है
दीए जलाओ 
रोशनी के लिए
रोशनी कम हो जहाँ
और तेल डाल आओ..
जब शाम ढल जाए
एक पैग बनाओ
मन के दिये से
अंधेरा दूर करो...
सजाओ 
कुछ पन्ने
यादों के भी
क्यों ना एक
किताब ही लिख डालो
चलो फिर पीओ और पिलाओ...
😁😁🍺🍺

उदास शामों को
हसीन बनाइये...
कुछ गाईये
कुछ गुनगुनाइए
कुछ सुनिए
कुछ सुनाईये
कुछ ना कर सको तो
एक पैग ओल्ड मोंक का 
हमारे साथ लीजिये...
क्योंकि
जिंदगी ना मिलेगी दुबारा.....
😊😊😊😊

दिल की बातें अक्सर
छिपी रहती हैं
मुस्कुराहटों और कहकहों में...
हमने तो हंसते देखा है
हर शख्श को मेहख़ानों में......

😊😊😊😊



मधुशाला


मधुशाला 

गम खरीदता है
खुशियां बांटता है
पल भर में 
दिल से अमीर बना देता है
ये मेहख़ाना
चल फिर दारू पीते हैं.....
😄😄😄


शराब



शराब..

क्यों नफरत है इतनी
इस तन्हा शराब से
ये तो वो दवा है "दोस्तो"
जो हर गम भूला देती है
खुद भी तन्हा है मगर
फिर भी खुशियां देती भरपूर
तभी तो है ये मशहूर.....
😊😊😊😊

मधुशाला

मधुशाला

जब शाम ढले 
कोई ले आना
जब दीप जले 
तब भी ले आना
कोई भी ब्रांड 
देखो भूल ना जाना
मेरा प्यार हे रम जिन
इसे ना बिसराना
जब शाम ढले ले आना
जब दीप जले बस ले आना.....
😂😂🤣🤣

मधुशाला

Life in different shapes...

Beauty on shape...

जिंदगी...

पहले पीते हैं
फिर लड़खड़ाते हैं
मस्ती के इस जाम को ही
जिंदगी कहते है

पिओ और जियो
🙂🙂🙂🙂
Different shades of life.
😂😆😂🙂

मधुशाला

मधुशाला..

ये नीरस वीरान सी सड़कें
ये खालीपन जो लाती एकाकीपन
मन में उठती एक ही अभिलाषा
पीने को मिल जाए एक प्याला...

अधरों की आतुरता
हृदय की भाषा
पूछती है बार बार
कहाँ है मधुशाला...

ले आओ साकी
भर भर के प्याला
मदिरा वाला
ना जाने कल
क्या है होने वाला.........

मेरी मधुशाला


मेरी मधुशाला...

ये एकाकीपन
पीने की अभिलाषा 
प्यालों की आतुरता 
अधरों की भाषा
कहाँ है मधुशाला
ले आओ साकी
भर के प्याला
ना जाने कल
क्या है होने वाला.........

मधुशाला


मेरी मधुशाला...

ये नीरस वीरान सी सड़कें
ये खालीपन 
लाती एकाकीपन
मन में उठती एक ही अभिलाषा 
पीने को मिल एक प्याला...

अधरों की आतुरता 
हृदय की भाषा
पूछती है बार बार
कहाँ है मधुशाला...

ले आओ साकी
भर भर के प्याला
मदिरा वाला 
ना जाने कल 
क्या है होने वाला.........