कवितायेँ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
कवितायेँ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

आईना: कवितायें

 कवितायेँ ............................


आइना

सच भी कहूँ
तो जुठला देता है
कभी कभी
ये घूसखोर आइना

आंसूं
आसूं की एक बूँद
किसी समुन्दर से
कम तो नहीं

तेरी हंसी
तेरा हँसना
जैसे चन्द का
जमीं पर आ जाना


मन की खिड़की
क्यों चुप हो
कभी तो
मन की खिड़कियाँ खोलो

ये जीवन
ये जीवन
कभी कभी
आसुंओ की बहती
एक धारा है .

इंसानियत
मंदिर से आती हैं
घंटियों की आवाज़
मस्जिद से आती है
अज़ान की आवाज
नाजाने क्यों फिर भी क्यों
तन जाती है तलवार

धर्म और नेता
धर्म के नाम में
चढ़ गए कई सूली
नेताओं ने की जम के
वोटों की वसूली


लघु कविताएं












लघु कवितायेँ ...................

जिन्दगी......
लोग कहते हैं
जिंदगी हसीन है
तू इसे प्यार कर
काली रात के बाद
उजली सुबह का
इंतज़ार कर..

विश्वास.....
बहुत कुछ सिखाया है
इस छोटी सी जिंदगी ने
गैरों पर नहीं
पहले अपने आप पर
विश्वास कर..

समय......
कभी मैं भी खिलता था
पूनम के चांद की तरह
आज फिर अधूरा रह गया
दूज के चांद की तरह.


शहर में......
भीड़ भरे शहर में
तन्हाईयां तो देखो
अकेली दौड़ती रहती है
न सुबह का पता
न शामों का जिक्र
रातें सिर्फ काली
एक गावँ देखो मेरा
जहां सुबह भी होती है
शाम भी
तारे चाँद की पनाहों में
रात भर  टिमटिमाते हैं।


कवितायेँ













कवितायेँ ...............................

रंग
सुना है
"गिरगिट रंग बदलता है"
हमने तो नेताओं को भी
रंग बदलते देखा है

रोना
इंसान मरे या जोकर
इंसानियत हो तो मन में
रोना आ ही जाता है

कलम
पैनी है धार
कलम की
क़त्ल हुए हें कई
इसकी धार से

नेता
धुल जाते है
सारे पाप उनके
जब वो
नेता बन जाते हैं .

रंग
कोई फर्क नहीं है
गिरगिट और नेता में
दोनों ही रंग बदलते हैं.

पदक
काश कोई पदक
नेता के लिए भी होता
अच्छे अभिनय के लिए

चोर पुलिस
इधर
वो नोट गिनता रह गया
उधर
चोर हाथ साफ़ कर गया

सरकारी नौकरी

सेवा तो बहाना है
कुर्सी मिल जाए बस
नोट ही नोट कमाना है

डॉक्टर और वकील
कैसा भी केस है
दोनों में
नोट कमाने की रेस है

वादा तेरा वादा
नेता जी ने ठानी है
जीत गया इस बार
रुलाऊंगा सबको बार बार

समय की पुकार
वैवाहिक विज्ञापन का
नमूना देखो
पति चाहिए
वो भी गृह कार्य में दक्ष

बनवास
हर कोई काट रहा है
बनवास
कोई अयोध्या में
तो कोई घर में

बेचने के लिए
कुछ नहीं मेरे पास
बेचने के लिए
ख्वाब बेचता हूँ
खरीदोगे क्या ??

दिवाली
दिवाली
जब भी आती है
दिवाला निकाल जाती है

किताबों में
किताबों में उतारो उनको
जो मोहब्बत में
बेमौत मरे हैं .

आत्मा
पवित्र आत्मा पर
नहीं होती है कोई खोट
चाहे पड जाए
लोहे की चोट

प्यार
प्यार क्या होता है
आज जाना
जब बचपन में
माँ चप्पल से मारती थी

चूमना
किसी के माथे को
चूमने का दिल करता है
पर वो माथा
है कहाँ

आलिंगन
किसी अपने को
गले लगाने का दिल करता है
पर वो इंसान
है कहाँ

फ़क़ीर
वो फ़क़ीर
ना जाने खुदा था या भगवान्
चाँद सिक्कों के बदले
हजारों दुवाएं दे गया

बनवास
प्रियतम
जब नहीं होती है तुम पास
ये जीवन कुछ नहीं
बस है एक बनवास