मधुशाला



मधुशाला...

ये एकाकीपन
पीने की अभिलाषा 
प्यालों की आतुरता 
अधरों की भाषा
कहाँ है मधुशाला
ले आओ साकी
भर भर के प्याला
ना जाने कल
क्या है होने वाला.........

🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂

आज बूढ़ा साधू बोला
बालक कौन हो तुम ?
मैने कहा, 
गुरुवर प्रणाम
आपका हमेशा से
सानिध्य चाहने वाला...

(ओल्ड मोंक प्रेमियों को समर्पित....)

🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂

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