मधुशाला

मधुशाला..

ये नीरस वीरान सी सड़कें
ये खालीपन जो लाती एकाकीपन
मन में उठती एक ही अभिलाषा
पीने को मिल जाए एक प्याला...

अधरों की आतुरता
हृदय की भाषा
पूछती है बार बार
कहाँ है मधुशाला...

ले आओ साकी
भर भर के प्याला
मदिरा वाला
ना जाने कल
क्या है होने वाला.........

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

शराब इनती ख़राब नहींजितना लोगों ने हौवा बना रखा है
कुछ लोग तो पीते हैं इसलिए जिन्दा हैं
सुनील जबलपुर