कवितायेँ ...............................
रंग
सुना है
"गिरगिट रंग बदलता है"
हमने तो नेताओं को भी
रंग बदलते देखा है
रोना
इंसान मरे या जोकर
इंसानियत हो तो मन में
रोना आ ही जाता है
कलम
पैनी है धार
कलम की
क़त्ल हुए हें कई
इसकी धार से
नेता
धुल जाते है
सारे पाप उनके
जब वो
नेता बन जाते हैं .
रंग
कोई फर्क नहीं है
गिरगिट और नेता में
दोनों ही रंग बदलते हैं.
पदक
काश कोई पदक
नेता के लिए भी होता
अच्छे अभिनय के लिए
चोर पुलिस
इधर
वो नोट गिनता रह गया
उधर
चोर हाथ साफ़ कर गया
सरकारी नौकरी
सेवा तो बहाना है
कुर्सी मिल जाए बस
नोट ही नोट कमाना है
डॉक्टर और वकील
कैसा भी केस है
दोनों में
नोट कमाने की रेस है
वादा तेरा वादा
नेता जी ने ठानी है
जीत गया इस बार
रुलाऊंगा सबको बार बार
समय की पुकार
वैवाहिक विज्ञापन का
नमूना देखो
पति चाहिए
वो भी गृह कार्य में दक्ष
बनवास
हर कोई काट रहा है
बनवास
कोई अयोध्या में
तो कोई घर में
बेचने के लिए
कुछ नहीं मेरे पास
बेचने के लिए
ख्वाब बेचता हूँ
खरीदोगे क्या ??
दिवाली
दिवाली
जब भी आती है
दिवाला निकाल जाती है
किताबों में
किताबों में उतारो उनको
जो मोहब्बत में
बेमौत मरे हैं .
आत्मा
पवित्र आत्मा पर
नहीं होती है कोई खोट
चाहे पड जाए
लोहे की चोट
प्यार
प्यार क्या होता है
आज जाना
जब बचपन में
माँ चप्पल से मारती थी
चूमना
किसी के माथे को
चूमने का दिल करता है
पर वो माथा
है कहाँ
आलिंगन
किसी अपने को
गले लगाने का दिल करता है
पर वो इंसान
है कहाँ
फ़क़ीर
वो फ़क़ीर
ना जाने खुदा था या भगवान्
चाँद सिक्कों के बदले
हजारों दुवाएं दे गया
बनवास
प्रियतम
जब नहीं होती है तुम पास
ये जीवन कुछ नहीं
बस है एक बनवास
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