साथ चलो

साथ चलो...

चलो ना साथ
तुम भी
ये अंधेरा
बहुत  घनेरा है.....
देखो कभी  छूट ना जाये
ये साथ हमारा ...
छोड़ो जमाने को
ये ना तो तेरा है 
ना मेरा है.....

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

कितना मुस्किल होता है साथी का चले जाना जैसे दिल के अरमानों का लूट जाना, भाव्भोर करने वाली कविता