शराब और शायरी

शराब और शायरी....

क्या कहते हैं शायर, शराब के बारे में
आप भी जानिए और आनंद लीजिए......

"शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं"
💗 मिर्जा गालिब
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"मस्जिद ख़ुदा का घर है, पीने की जगह नहीं ,
काफिर के दिल में जा, वहाँ ख़ुदा नहीं"
☺️इकबाल
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"काफिर के दिल से आया हूँ मैं 
ये देख कर, खुदा मौजूद है वहाँ, 
पर उसे पता नहीं।"
🌞 अहमद 
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"खुदा तो मौजूद दुनिया में हर जगह है,
तू जन्नत में जा वहाँ पीना मना नहीं"
💗 वासी 
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"पीता हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलाने के लिए,
जन्नत में कौन सा ग़म है 
इसलिए वहाँ पीने में मजा नही"
☺️☺️ साकी 

गूगल के सौजन्य से....

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

शराब तो रजा इंद्र के ज़माने में भी होती थी जिसे सुरा कहते थे फिर ये क्यों बदनाम