कवितायें

 

कवितायेँ.................................

आंसू....
आंसू भी कम्भख्त
बेईमान होते हैं
बरसते हैँ तो
जग जाहिर
सूखते हैं तो
भिगो देते हैं
दिल को अंदर तक....

यादें...
जब भी याद आती है तुम्हारी
तस्वीरों से दो बाते कर लेता हूँ
सजीव हो जाते हैं वो बीते पल
और बोलने लगती हैं तस्वीरें..

अंधे नहीं हैं हम......
इसको भी जानते हैं
उसको भी जानते हैं
लिहाज के मारे
जानबूझ कर अंधे बन गए हैं
बेवकूफ नहीं है हम..


शिकायतें.....
हज़ार शिकायते है
जिंदगी से हर किसी को
किसी का मेहबूब रूठा है
कोई रोता है रोटी को..

रूह...
वो चिता की राख बन कर बोली
मेरा जिस्म तो अमानत है राख की
ये रूह तुम्हारे लिए छोड़ जाती हूँ....

अचानक....
अचानक मिले
बंधन में बंधे
बीते पल लम्हे बने
फिर एक पल
खुशियां खाक बनी
वो राख बनी
हम जिंदा लाश बने...

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