कविताऐं

ये जिंदगी..............
ये जिंदगी भी ना
तारीफों में ना सही
तानों में तो कट ही जाएगी..
घबराना अब कैसा
जब पाने को कुछ नहीं
तो खोने का डर कैसा
उम्र संग ये तो हर पल 
घटती ही जाएगी..........
आचरण व्यवहार संस्कार
ही नहीं शिक्षा दीक्षा भी बताते हैं
इंसान कैसा था कैसा है........
जिंदगी बिखरे पन्नों सी
क्यों ना फिर इसे
करीने से सजाइए.......
😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀🙂

बचपन...........
मत छीनो बचपन
इन, नन्ही नन्ही कोपलों का
खिलने दो, 
मुस्कुराने दो
आज़ाद उड़ने दो
ये खुशबू है आँगन की
इन्हें रौंदों मत
बस महकने दो......
😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀


इंसान.....
ओ जाने वालों
मुड़ मुड़ के ना देखो, यूं मुझे..
में कोई पुराना राजा तो नहीं हूँ
हाँ, एक नायाब, तराशा हुआ इंसान हूँ...
क्योंकि में classic हूँ....
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂



कागज के फूल.......
हम टुकड़े, कागज़ के तो नही 
की उड़ जाएंगे ।
हम खुशबू है फूलों की, 
सूख गए भी तो, किताबों में रखे जाएंगे
😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃

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