गायत्री मंत्र

चित्र : शान्ति कुंज, हरिद्वार

गायत्री मंत्र

ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो न: प्रचोदयात्।

गायत्री मंत्र क्या है गायत्री मंत्र का सरल अर्थ और शुभ प्रभाव क्या हैं ?

माता गायत्री को हम वेदमाता भी कहते हैं, धार्मिक दृष्टि से गायत्री उपासना सभी पापों का नाश करने वाली, आध्यात्मिक सुखों से लेकर भौतिक सुखों को देने वाली है.  गायत्री साधना में गायत्री मंत्र का बहुत बड़ा महत्व है और इस मंत्र के चौबीस अक्षर न केवल 24 देवी-देवताओं के स्मरण के बीज हैं, बल्कि ये बीज अक्षर वेद, धर्मशास्त्र में बताए अद्भुत ज्ञान का अतुल्य आधार भी हैं.

वेदों में गायत्री मंत्र जप से आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन व ब्रह्मचर्य के रूप में मिलने वाले सात फल बताए गए हैं. असल में गायत्री मंत्र ईश्वर का चिंतन, ईश्वरीय भाव को अपनाने और बुद्धि की पवित्रता की प्रार्थना है

आइए जानते हैं इसी अद्भुत मंत्र का सरल अर्थ -

ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो न: प्रचोदयात्

ऊँ - ईश्वर
भू: - प्राणस्वरूप
भुव: - दु:खनाशक
स्व: - सुख स्वरूप
तत् - उस
सवितु: - तेजस्वी
वरेण्यं - श्रेष्ठ
भर्ग: - पापनाशक
देवस्य - दिव्य
धीमहि - धारण करे
धियो - बुद्धि
यो - जो
न: - हमारी
प्रचोदयात् - प्रेरित करे

यदि सभी शब्दों को जोड़ दें तो यह अर्थ निकलेगा..
उस प्राणस्वरूप, दु:ख नाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरूप परमात्मा को हम अन्तरात्मा में धारण करें। वह ईश्वर हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर प्रेरित करे

जय मां गायत्री 🙏

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