मैने
फिर से
कलम पकड़ ली
या यूं कहो
कलम ने फिर से
मुझे जकड़ लिया
कहने लगी....
मुझसे बच के जाएगा कहां......
🙂🙂🙂🙂😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀
2017 : सावन की यादें
मौसम का तकाजा है
पेड़ो को भी बारिश का अंदाज़ा है
कैसे खिले हैं चेहरे इनके
मौसम जो खुशगवारा है
भीगे भीगे पत्तों पर
बारिश की बूँदों ने
इन्हें खूब संवारा है
😀😀😀😀😀😀🔆🔆🔆🔆😀😀😀😀😀
आज इंद्रदेव की सब पर कृपा है
बरस रहे हैं जम कर
श्रावण शिवरात्रि पर शिव खुश है
हे परमपिता आपकी जय हो........
😀😀😀😀😀😀😀😀😀🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞
एक तन्हा
बारिशों की शाम
मैं और मेरी साईकिल
फिर से यादों के सफर में.......
😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀
2017 : सावन और तुम
बरखा रानी क्या बरसीं
प्रकृति ने इनको भी संवारा है
ये सावन का नज़ारा है........
😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😁😁😁
जिंदगी
सवालों से घिरी एक जंग
जबाब ढूंढ़ते ढूंडते
एक दिन जिंदगी ही ख़त्म हो जाती है.....
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