कविताऐं...
हवाओं का गुस्सा तो देखो
तूफान बनकर कहर बरपा रही है।
एक हम हैं की शांत बैठे हैं
विशाल बरगद की तरह ।।
😎😎😎😎😎😀😀😀😀
कुछ पुराने दोस्त क्या मिलते हैं ।
पुरानी वाइन भी अपने शबाब पर होती है
फिर फड़फड़ाने लगते हैं यादों की किताबों के पंख
😆😆
गर्मियों के दिन और ये खामोश फिज़ायें ।
कैसे रहें बता "ए बियर " तुम्हारे बिन....।।
😀😀😀😀😀🌞🌞🌞😀😀
चाँद की तरह
कभी अकेला मत छोडियेगा हमे ....
हमारे दीदार को तो
सूरज भी तरसता है ....
😆😆😆😆🌞🌞🌞😀🌞😀
बिगडैल यादों का
सिलसिला तो देखो ..
आवारा बनाकर
इधर उधर भटकाती हैं ...
😀😀😀😀😀🌞😀😀😀😀
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