कविताएं

यादें....

इन बिगडैल यादों का
सिलसिला तो देखो ..
आवारा बनाती हैं
इधर उधर भटकाती हैं ...
🙂🙂🙂🙂🙂🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞


बड़े मासूम थे हम
जिंदगी ने
जिद्दी बना डाला.....
😊😊😊😊🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂



उसे बहुत गुरुर था 
उसके पास धन था
कोठी थी
अरबों रुपये थे
लंबी गाडी थी
नौकर थे
यूँ कहो चमचे भी थे

जमीर बेच दिया था उसने
चांद सोने के टुकड़ों के लिए
लोगों को भी लूटा जम के
हाय मिली  फिर जम जम के

एक दिन 
वक्त की आंधी ने उसे
घी और  लकड़ी के ढेर पे सुला दिया

वो अकेला था
जलती चिता थी
सब स्वाह था
अकेला आया था
अकेला चला गया।
दूर गगन की गोद मे******
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂


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