फिल्मी गीत


फिल्मी गीत.....


चल अकेला, 
चल अकेला, 
चल अकेला
तेरा मेला पीछे छूटा राही 
चल अकेला

हज़ारों मील लम्बे रास्ते 
तुझको बुलाते
यहाँ दुखड़े सहने के वास्ते 
तुझको बुलाते
है कौन सा वो इंसान यहाँ पे 
जिस ने दुख ना झेला
चल अकेला ...

तेरा कोई साथ न दे तो 
तू खुद से प्रीत जोड़ ले
बिछौना धरती को करके 
अरे आकाश ओढ़ ले
पूरा खेल अभी जीवन का 
तूने कहाँ है खेला 
चल अकेला ...

फिल्म : संबंध
रचियता : प्रदीप


देख तेरे संसार की हालत 
क्या हो गयी भगवान,
कितना बदल गया इंसान..
कितना बदल गया इंसान,
सूरज ना बदला,
चाँद ना बदला,
ना बदला रे आसमान,
कितना बदल गया इंसान..
कितना बदल गया इंसान .....

आया समय बड़ा बेढंगा,
आज आदमी बना लफंगा,
कहीं पे झगड़ा,कहीं पे दंगा,
नाच रहा नर होकर नंगा,
छल और कपट के हांथों 
अपना बेच रहा ईमान,
कितना बदल गया इंसान..
कितना बदल गया इंसान .....

राम के भक्त,रहीम के बन्दे,
रचते आज फरेब के फंदे,
कितने ये मक्कार ये अंधे,
देख लिए इनके भी धंधे,
इन्हीं की काली करतूतों से 
हुआ ये मुल्क मशान,
कितना बदल गया इंसान..
कितना बदल गया इंसान...

जो हम आपस में ना झगड़ते,
बने हुए क्यूँ खेल बिगड़ते,
काहे लाखो घर ये उजड़ते,
क्यूँ ये बच्चे माँ से बिछड़ते,
फूट-फूट कर क्यों रोते 
प्यारे बापू के प्राण,
कितना बदल गया इंसान..
कितना बदल गया इंसान .....

फिल्म - नास्तिक 
रचयिता - प्रदीप 


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