कविताऐं


कविताएं........

खेलघंटी और खोमचे वाले 
आज भी याद आते हैं..
क्लास से कुछ पल आराम
और स्वाद का आनंद..

आज वो खोमचे वाला 
बर्गर, पीज़ा और सूप
की कैंटीन में बदल गया...

वो पल अब कभी
लौट के ना आएंगे...
😊😊😊😊☺️☺️☺️☺️


यादों के रिश्ते भी
अजीब होते हैं
खुद तन्हा रहते है 
मगर
दिल को कभी
तन्हा रहने नहीं देते...
🙂🙂🙂☺️☺️☺️☺️☺️☺️



ये कैसी नज़र लगी है 
इस जमाने को..
घरों में, 
बाज़ारों में, 
झोपड़ियों में 
और बंगलों में 
घुट घुटकर रह गयी है 
कितनी ही जिंदगानियां..
☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️


प्रातःकाल
सुख की बेला
चिड़ियाँ भी गाए 
जग सुंदर हो गया
ठंडी-ठंडी बयार
मस्ताना मौसम
है प्रभु आपकी रचना
सुन्दर अलबेली है....
😍😍🙂🙂☺️☺️☺️



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