किस किस से
उम्मीद जगाये बैठे हो ।
इस जहां में लोग
बहारों की चाहत में,
चमन छोड़ जाते हैं ....
अपने पर
ये गरूर कैसा
एक बार तो
आइना तो देख लेते .......
मत खोलो
मन की गांठों को
यूँ कैंचियां चला कर
प्यार से भी तो
खुल सकती हैं ये गांठे
एक बार आजमा के तो देखो....
एक दिन तो
सब का हिसाब होगा
ये जिंदगी
कर्मों की किताब है..
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
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