लघु कविताएं

लघु कवितायें........

लम्हो को कभी, 
पकड़ ना सके हम
छोटे छोटे पल, 
कब यादों की किताब बन गए
आज तक समझ ना पाए हम....
🙂🙂🙂🙂😊
जिन्दगी में, 
मेहमान सी होती हैं 
उफ ये सांसे
ना जाने कब 
रूठ के चली जाएं....
🙂🙂🙂🙂🙂
बड़े बड़े रास्तों में, 
उलझने वालो
पगडंडियां भी मंज़िल तक 
पहुंचा ही देती है...
🙂🙂🙂🙂🙂
धूप छाँव का खेल है 
ये मासूम जिन्दगी...
जीने वाले, 
आ तू भी दांव लगा ले...
🙂🙂🙂🙂🙂
सुबह जमीं कुछ
भीगी भीगी सी थी...
लगता है रात भर 
आकाश रोया होगा...
🙂🙂🙂🙂🙂🙂
चंद सिक्कों की खनक, 
बहुत सी दुआएं दिला देती हैं....
हमने तो रोते देखा है, 
नोटों के चाहने वालों को....
🙂🙂😊😊😊
कुछ पल जिंदगी के, 
खनकते हैं सिक्कों की तरह 
कभी खामोश हो जाते हैं, 
नोटों की तरह 
कभी खिसक जाते हैं 
तिजोरी में, 
यादों की तरह...


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