लम्हो को कभी,
पकड़ ना सके हम
छोटे छोटे पल,
कब यादों की किताब बन गए
आज तक समझ ना पाए हम....
🙂🙂🙂🙂😊
जिन्दगी में,
मेहमान सी होती हैं
उफ ये सांसे
ना जाने कब
रूठ के चली जाएं....
🙂🙂🙂🙂🙂
बड़े बड़े रास्तों में,
उलझने वालो
पगडंडियां भी मंज़िल तक
पहुंचा ही देती है...
🙂🙂🙂🙂🙂
धूप छाँव का खेल है
ये मासूम जिन्दगी...
जीने वाले,
आ तू भी दांव लगा ले...
🙂🙂🙂🙂🙂
सुबह जमीं कुछ
भीगी भीगी सी थी...
लगता है रात भर
आकाश रोया होगा...
🙂🙂🙂🙂🙂🙂
चंद सिक्कों की खनक,
बहुत सी दुआएं दिला देती हैं....
हमने तो रोते देखा है,
नोटों के चाहने वालों को....
🙂🙂😊😊😊
कुछ पल जिंदगी के,
खनकते हैं सिक्कों की तरह
कभी खामोश हो जाते हैं,
नोटों की तरह
कभी खिसक जाते हैं
तिजोरी में,
यादों की तरह...
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