कहानिया

जूठन

केशव कि माँ लोगो के बर्तन मांज कर किसी तरह पेट पालने के साथ अपने बच्चे को पढ़ा रही थी. अक्सर उसकी माँ को घरों से बचा हुआ या जूठन और पुराने कपडे मिल जाया करते थे. किसी तरह से उनका काम चल जाता था. लेकिन किशोर केशव के मन में बड़े सवाल उठा करते थे.. जैसे हम गरीब क्यों हैं. हमे जूठन क्यों खाने को मिलती है. लोग धनवान क्यों होते है इत्यादि ..
जैसे जैसे वह बड़ा हो रहा थे उतने ही बड़े उसके सवाल होते जा रहे थे. वह अक्सर सोचता था पढ़ लिखकर भी वह क्या बनेगा.. मालिक तो बनने से तो रहा. रहेगा तो नौकर ही.
आज उसका मन स्कूल जाने को नहीं था. फिर भी वह अनमने मन से वह स्कूल चला गया. उसके पड़ोस में बाँध का काम चल रहा था. झुग्गी के कुछ बच्चे बाँध में काम करते थे . उनके घरों में टी.वी. इत्यादि सभी थे. उसका मन भी काम करके पैसे कमाने को हो रहा था.
आज उसने उसने स्कूल से लौटते वक्त यह निर्णय ले लिया था कि अब वह स्कूल नहीं पढ़ेगा. वह भी काम करके पैसे कमाएगा और अपनी माँ को आराम देगा.. उसके मन में लोगों कि बची जूठन घूम रही थी.
‘ माँ आज से तुम काम नहीं करोगी और हम आज से किसी कि जूठन भी नहीं खायेंगे’ उसने अपनी माँ को अपना निर्णय सुनाया तो उसको माँ को आश्चार्य हुआ कि आज केशव को क्या हो गया.
‘लेकिन बेटा तू करेगा क्या” माँ के इस जबाब से केशव बोला “ माँ आज से में भे बाँध में काम करूँगा और रात को पढाई करूँगा”
अगली सुबह को केशव पुरे उत्साह के साथ बाँध पर काम के लिए चल पढ़ा.


कर्त्तव्य

दिल्ली कि बस अपनी रफ़्तार से चल रही थी. कन्डक्टर हर स्टॉप पर सवारियों को बताते जाता कि कौनसा स्टॉप आने वाला है और साथ ही सबको यह भी बताता कि बिना टिकट यात्रा करना कानूनन अपराध है. उसको काम में व्यस्त देखते हुए मैंने उत्सुकतावस् उससे पूछ ही लिया
“ भाई साहब आप अपना काम बड़ी इमानदारी से करते हो .. दिल्ली कि और बसों में तो कन्डक्टर पूछने पर ही बताता है वह भी नखरे के साथ”
वह मुस्कुराया और बोला “श्रीमान मुझे नहीं मालूम कि और क्या करते हैं लेकिन यह मेरा कर्त्तव्य है कि मुझे अपनी सवारियों का पूरा ध्यान रखना चाहिए उन्हें मेरी गाडी में किसी भी प्रकार कि तकलीफ नहीं होनी चाहिए क्योंकि सरकार मुझे इसी बात का वेतन देती है”
उसका जबाब सुनकर मुझे बड़ी खुशी हुई. में सोचने लगा काश भारत का हर नागरिक उसकी तरह अपने कर्तव्यों का पालन करे तो कितना अच्छा हो.


कटु सत्य
मनुली मेरे घर पर झाड पोंछे का काम करती थी. वह अक्सर अपने ५ साल को लड़की को अपना काम बटाने के लिए लाया करती थी. मुझे उसकी लड़की पर बड़ा तरस आता थी कि इसकी तो स्कूल जाने कि उम्र ही और वह उससे अभी से काम कराने लगी ..
एक दिन मैंने मनुली से कहा “मनुली तू इस बच्चे को स्कूल क्यों नहीं भर्ती करा देती पढ़ लिख जायेगी”
“ अरे दीदी स्कूल पढके ये तो निकम्मी और नाकारा हो जायेगी. बड़ी बड़ी बातें करेगी जो हमारी समझ के बहार होगी “ मनुली ने मुह बिचकाकर कहा.
श्याद मनुली को मेरी बात अच्छी नहीं लगी, मुझे गुस्सा भी बहुत आया को लोग अपने बच्चो को पढाने के लिए क्या क्या नहीं करते और ये है कि लगता कि पागल हो गयी हँ. खैर निर्णय तो उसी को लेना है.
एक दिन मैंने उसको फिर समझाने कि कोशिश कि “देख ये पढेगी लिखेगी तो इसे अच्छी नौकरी मिल सकती है किसी बड़ी पोस्ट पर भी जा सकती है तुम्हारे कुल का नाम रोशन कर सकती है”
उसने बात काटते हुए कहा “ रहने दो दीदी आपकी बड़ी लड़की ने भी तो एम्.ए. किया है उसे आज तक नौकरी नहीं मिली ऊपर से आप को उसकी शादी के लिए कोई पढ़ा लिखा लड़का भी तो नहीं मिल रहा है . आप तो बड़े लोग हैं दहेज दे कर शादी भी कर देंगे लेकिन हम लोग कहाँ से ये सब कर पायेंगे” उसने मन का सारा गुबार निकाल फेंका.

मैं एकदम निरुत्तर हो गई थी क्योंकि मेरे पास इन सबका कोई जबाब नहीं था ....


तनख्वा

पत्नी ने बड़े प्यार से रसोईघर से आवाज लगाईं.
“सुनो जी आज शाम डिन्नर में क्या खाना पसंद करेंगे”
पति कि निगाह दिवार पर टके हुए कलेंडर पर गई. उसकी आँखों के आगे महीने का आखिरी अंक मुह चिढा रहा था. अरे तनख्वा मिलने में अभी एक दिन और बाकी है और जेब......
पति ने मन मसोसते हुए कहा
“प्रिये...सुनो बहुत दिन से खिचडी नहीं खाई है चलो आज खिचड़ी एन्जॉय करते हैं”


मजदूरी और टिप

शहर का मशहूर नेता के बेटे कि शादी थी. बेंड बाजे बज रहे थे.
मैंने एक बेंड बजाने वाले से मजाक में पुछा “भाई क्या बात है नेता जी के बेटे कि शादी तो तुम जोर शोर से बेंड बजा रहा हो. और कहीं होते हो तो भागने कि लगी रहती है”
वो बोला “शाब जोश तो आ जाएगा ना क्योंकि मजदूरी के साथ टिप, पीने को दारु और लजीज खाना जो खाने को मिलेगा.”

प्यार और पैसा

“अरे मेनका तुमने अपने प्रेमी राजेश को छोड़कर उस बुड्ढे से शादी कर ली जो तुम्हे फूटी आँख नहीं सुहाता था और उम्र में भी तुमसे दुगना है” मैंने आश्चर्यचकित होकर पुछा क्योंकि मुझे मालूम था कि राजेश और मेनका एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे.
.
मेनका कुछ पल रुकी. लंबी सी सिगरेट से एक बड़ा सा कश लिया और लंबा सा धूंआ छोडती हुई मदहोशी कि हालत में बोली “रमेश जिंदगी कि गाडी पैसे से चलती है प्यार से नहीं .. समझे ”

मुझे अब सब कुछ समझ में आ गया था कि पैसे बिना प्यार फिजूल है.




चेकिंग

मेरी गाडी खराब हो गई थी मैंने तुरंत टेक्सी ली.. आज ऑफिस जल्दी पहुंचना था.

अचानक पुलिस वाले ने मेरी टेक्सी को हाथ देकर रोका
“ए भाई गाडी साइड में करले और कागज़ निकाल”

में बुदबुदाया “अरे यार फिर देर में देर”
टेक्सी वाला बोला “साब फिकर नाट ये तो रोज ही मिलते हैं”

टेक्सी वाले झट से १०० का नोट एक कागज़ के अंदर रखा और बोला “जनाब ये रहे गाडी के कागज़”

पुलिस वाले ने १०० का नोट जेब में सरकाया और बोला “ तू बहुत समझदार है कागज़ पूरे रखता है... अरे भाई इसको जाने दो.. इसके कागज पूरे हैं”



कला

“अंधे को कुछ दे दो बाबा भगवान भली करेगा” एक अंधा भिकारी लाल बत्ती पर भीख मांग रहा था

उस भिखारी को देखते ही मेरी चौकने कि बारी थी. अरे कल तो ये लंगड़ा होकर भीख मांग रहा था आज यह अंधा कैसे हो गया. मुझे रहा नहीं गया मैंने उससे पुछा “अरे कल तो तुम लंगड़े थे आज अंधा कैसे हो गए”
“साहिब ये को हमारी भीख मांगने कि कला है भीक के लिए हमे नित नए भेष बदलने ही पड़ते हैं” यह कह कर वह तुरंत वहां से गायब हो गया...


दारु का जुगाड

एक मजदूर कि कार से टक्कर हो गई .. भीड़ इक्कठी हो गई . कर वाले को रोका गया. भीड़ में से किसी ने मजदूर से पुछा “भाई कहीं चोट तो नहीं लगी”
“लगी तो बहुत है इलाज में भी खर्चा बहुत आएगा लेकिन आप चार लोग जो दिला दें मुझे वही मंजूर है” मजदूर ने भीड़ को देखते हुए अपना दाव् फेंका.
भीड़ अब कारवाले के पीछे लग गई. कोई बोला १००० दिला दो कोई १५०० कि बोलने लगा . आखिर १२०० से मामला तय हो गया.
कार वाले ने तुरंत पीछा छुड़ाने के लिए तुरंत १२०० निकले और सॉरी कहते हुए चला गया.
मजदूरों ने सभी का धन्याद किया और थोड़ी दूर लंगडाने का नाटक करते हुए नुक्कड़ से तेज तेज क़दमों से दारु के ठेके कि ओर जाने लगा और बुदबुदाया “हे प्रभु तेरा बहुत बहुत धन्यवाद आज तो तूने अंग्रेजी का जुगाड कर दिया”


स्वर्ग कि देवी

बड़े दिनों के बाद गले मिलते हुए दोस्त ने अपने पुराने दोस्त से पुछा. “भैया भाभीजी कैसी हैं ?”
दूसरे दोस्त ने झट से कहा “अरे यार तुम्हारी भाभी तो स्वर्ग कि देवी है अच्छा अब आप बताओ हमारी भाभी कैसी हैं”
पहले वाला दोस्त गंभीर होकर बोला “यार अभी तक खून पीने के लिए जिन्दा है”



हाजमा

बड़े बड़े व्यापारियों को पार्टी चल रही थी. पत्रकार भी बुलाए गए थे. एक निर्भीक पत्रकार के एक व्यापारी से पुछा “श्रीमान आप मिलावट क्यों करते हैं”
व्यापारी भी हाजिर जवाबी था उसने कहा “यदि हम मिलावट नहीं करेंगे तो नेताओं का हाजमा खराब नहीं हो जाएगा भैया मेरे जनता से तो हम निपट लेंगे”
नेता एक बार फिर जनता और व्यापारी दोनों पर भारी पड़ गया.


1 टिप्पणी:

Anonymous ने कहा…

ya very nic keep it on