वेदमाता गायत्री

गायत्री माता...

गायत्री माता को वेदों की जननी और भारतीय संस्कृति की जननी माना जाता है: 
 
गायत्री माता को वेदमाता कहा जाता है क्योंकि इनसे द्वारा ही चारों वेदों की उत्पत्ति हुई है. गायत्री मंत्र में चारों वेदों का सार है. माता को सभी देवताओं का पूज्य माना गया है. ब्रह्मा, विष्णु, और महेश भी इनकी आराधना करते हैं. 
 
गायत्री माता को ज्ञान की देवी भी माना जाता है और उन्हें ज्ञान गंगा की संज्ञा भी दी जाती है. माता जी को त्रिदेवी लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती का अवतार भी माना जाता है. इनके 5 मुख और 10 हाथ हैं और ये हंस की सवारी करती हैं. 
 
गायत्री माता का जन्म श्रावण पूर्णिमा को हुआ था. हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को गायत्री जयंती मनाई जाती है. 

गायत्री मंत्र...

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ...
अर्थात हम 'उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे'.

ज्ञात रहे गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं. सांख्य दर्शन के मुताबिक, सारा सृष्टिक्रम 24 तत्त्वों पर चलता है और गायत्री के 24 अक्षर इनका प्रतिनिधित्व करते हैं. 

ॐ श्री गायत्री नमः

फोटो : फ़ेसबुक के सौजन्य से

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