कविताऐं.......
सुहानी यादें
कभी रुलाती हैं
कभी हंसाती हैं
याद दिला जाती है
चुपके से उन लम्हों की
उन अनकही दास्तानो की.....
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
तुम, मैं और ये तन्हाई :
जिंदगी अब
एक नई नज़्म बन गयी है...
मिलो कभी एक ग़ज़ल लिखनी है...
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
इन कंक्रीट के जंगलों में
चलते चलते अगर पावँ थक जाएं
तो किसी पेड़ की छावँ में
कुछ पल सुस्ता लेना
न जाने आगे पेड़ मिले ना मिले......
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
चलो बंजारों की बस्ती में,
एक बंजारा बन जाएं
झोला उठाएं,
और कहीं दूर निकल जाएं.......
😂😂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
उन्होने कहा
हम तुम्हारे हैं सनम ।
हमने कहा लिख कर दो,
फिर कहीँ बदल गये तुम तो ...
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
उम्र की नज़ाकत तो देखो
मेरा शहर भी मेरी तरह हो गया
इतनी भीड़ में भी तन्हा
तो फिर चल कहीँ दूर निकल जाएं....
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
संतुष्ट होने सीखिए बाबू
क्योंकि
ये जिंदगी ना मिलेगी दुबारा....
🙂🙂🙂🙂😃😃😃😃😃😃
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