कविताएं......
शौक.......
मुझे शौक नहीं है मशहूर होने का....
आप मुझे जानते हो
बस इतना ही काफी है...
चिराग......
बनके चिराग
लोगों के मन का
अँधेरा दूर करो
कुछ ऐसे भी दिल होते हैं
जिनके पास रौशनी नही होती.....
घर.......
घर चाहे छोटा हो या बड़ा
पैर फैलाकर लेटने की जगह
रखना चाहता हूँ
उम्र चाहे कुछ भी ही
खुलकर जीना चाहता हूँ..
जवानी....
जवानी सुबह सी
शाम यादों का सिलसिला
सूरज की तरह हमेशा
मुस्कुराना चाहता हूँ...
खुशी...
कभी तारों को देखता हूँ
तो कभी चाँद देख
मुस्कुराना चाहता हूँ..
आंसू....
इन आँखों से देखे थे
कुछ ख्वाब मीठे से
ये कमबख़्त आंख के आंसू भी
नमकीन निकले.....
गगन......
कभी बच्चा तो
कभी पंख लगा
उड़ जाना चाहता हूँ..
जिंदगी...
जिंदगी क्या है दोस्तो
मेरे लिए जिंदगी तो बस
एक नई जंग है.
जीवन के रंग...
में देखता हूँ
रोटी को तरसते बच्चे
दूध पीते कुत्ते
इलाज की आशा में
लुटता मरीज
धनवान होता डॉक्टर
पैसों के लिए
जमीर बेचती औरत
दरिंदा बना आदमी
सरकारी दफ्तर में
रोता गरीब
दादागिरी करता अफसर
में सोचता हूँ
जीवन के रंग
कितने अजीब
बचपन.....
वो बचपन के दिन भी क्या दिन थे
बन्दर बन पेड़ों की शाखाओं पर चढ़ना
कुछ खाना कुछ फेंकना
वो गली में गिल्ली डंडा खेलना
और पड़ोस के खिड़की दरवाजे तोड़ना
परीक्षा के पहले मंदिरों के दर्शन करना
परसेंटेज को गोली मारो,
हे भगवान् बस पास कर देना
वो रामलीला के चर्चे,
वो होली का हुरदंग
दिवाली हो या ईद बस मजे करना
वो बचपन की यादें
एक मीठा एहसास
याद की गठरी बन कर रहता है पास
जिन्दगी भर मुस्करानो को ...............
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