तन्हाई : कविताऐं
ये चाँद है ना
रोज आता है
वो भी अकेला
कहता रहता है
अच्छे दिन आने वाले हैं
कैसे इस पर यकीन करूँ...
🙂🙂😀😀🙂🙂😀😀😊😊🙂🙂😀😃
मिलना कभी
तुम्हें सौंपनी है
यादों की डायरी.....
🙂😀🌞😊🙂😀😃😊🙂🌞😊🌞😊
ये भी रोज़ जाते हुए कहते हैं
अच्छे दिन आने वाले हैं।
किस किस पर यकीन करूँ
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂🙂🙂🙂🙂
और ये तन्हा शाम
जब भी आती है
तुम्हारी यादों के चिराग़
जल उठते हैं...
(तुम कहाँ चले गए.......)
😃😃🌞🌞😊🙂😊🌞😃😀😃😃🌞🌞😊🙂
मां से मिलने जाता हूँ
वो मुझे फिर से
निकम्मा बना देती है.....
😊😊🙂🙂🌞😃🌞😊🙂😀😀😃😃🌞🌞
ना पिलाओ दोस्तो
की ये घर मेरा
मधुशाला बन जाये ....
😂😊😀😀😃😃😀🙂😊😀😀🌞😃😀
कुछ करीब से देखा
वो एल्बम के पन्नो में
सिमट के रह गयी.......
😃😃😀😀😃🌞😊🌞😃😀😃🌞😊
अब कहानी हो रही है
जैसे जैसे उम्र
पुरानी हो रही है....
😃😃🌞🌞😊🌞😃😀🙂😀😀😃🌞😊
आज भी वो जगह नही मिल पायी
जहां कभी बचपन बीता था.......
😀😀😃😃🌞😊😀😀😀🙂🙂🙂
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें