छोड़ दिए मैने उन
सवालों को
रिश्तों को
दोस्तों को
रास्तों को
सपनों को
जिनसे कोई
ज़बाब ना मिले.....
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
किसी का मन खाली नहीं
कोई नफरत पालता है
कोई प्रेम
कोई दर्द में डूबा है
कोई यादों में.....
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂😊😘😘😘👍👍👍
सरे आम होती है...
उजालों पे ना जाने क्यों,
दुनिया खामोश हो जाती है ....
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊
खूब घूमते थे
गाड़ी उठाई
चल देते थे...
बहुत मज़ा आता था
जब पहाड़, पानी और जंगल
के बीच से गुजरते थे...
कभी मेट्रो, कभी बस,
तो कभी ट्रैन
जो मिल जाए
बैग उठाये चल देते थे...
मंजिल अपनी
कभी गांव
कभी मंदिर
कभी समुद्र का किनारा...
ये क्या????
कोरोना काल
घरों में कैद सब
चलो कहीं चलते हैं
जहां मस्त लहरातीं फसलें हो
डाल पर बैठी चिड़िया गाती हो
बहते झरने हों
हरे भरे पहाड़ हों
जहां सुकून हो
जहां शांति हो
चलो चलते हैं
एक ऐसे ही
गगन के तले.....
😀😀😀😊😊😊😊😊😊😊😊😊🌹☘️🌱🌾
रात ने विदाई ली
चांद भी खिसक लिया
चिड़ियां चहचहाने लगी
लो सूरज आ गया...
गरम चाय के प्यालों से
दिन की शुरुआत होगी
अखबार सनसनी देगा
दिन मेँ क्या करना है
हर कोई सोचेगा...
😐🙏😀🙏🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें