कविताऐं.....
आज बदली बदली सी
रंगत दिख रही है मौसम की
मेरी बालकनी से
जमीं में नमी है
गरजता हुआ आसमान है
हाथ में चाय का जाम है
फुहारे तन मन को भिगोती है
पक्षी कलरव करते हैं
हरियाली और निखर गयी है
माटी की सोंधी सोंधी सी खुशबू
मन को भाने लगी है..
हे परमेश्वर
तेरी महिमा तो अपरम्पार है
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
वो व्रत रखते हैं,
ईश्वर खुश होगा
फिर उस भूखे से
ईश्वर खफा क्यों....
☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️
मेरी एक मुस्कुराहट पर
ना जानें क्यों
हजारों दुश्मन जलभुन जाते हैं
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
बहुत सी ख्वाहिशें थी
बचपन में
आज झुरियोँ में
तब्दील हो गयी हैं......
😀😀😀☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️
क्यों उलझी है जिन्दगी,
क्यों उलझे हैं हम ।
तेरे लिये तू सही,
मेरे लिये मैं ,
कैसी रही सनम...
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
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