कविताऐं


आज सुबह  जमीन 
कुछ भीगी भीगी सी थी...
लगता है आकाश रोया होगा 
रातभर मेरी तरह ...


बड़े बड़े रास्तों में, 
उलझने वालो
पगडंडियां भी, 
मंज़िल तक
पहुंचा ही देती है....



सूरज ढल जाता है
चाँद उग आता है
चांदनी झांकने लगती है
खिड़कियों से ...






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