श्री हनुमान


बालक रूप श्री हनुमान..

बाल समय रबि भक्षि लियो तब, 
तीनहुँ लोक भयो अँधियारो ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, 
यह संकट काहु सों जात न टारो ॥
देवन आन करि बिनती तब, 
छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, 
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 

आप सभी को बाल रूप हनुमानजी का शुभाशीर्वाद, 
हनुमानजी भगवान शिव का अवतार हैं ये बड़े भोले और पराक्रमी हैं, इनमे इतना पराक्रम है कि एक बार इन्होंने सूर्य देव को निगल लिया था तब विश्व में त्राहि त्राहि मच गयी थी, सभी देवताओं के अनुनय विनय के बाद उन्होंने सूर्य देव को छोड़ा इसलिए हनुमानजी को संकटमोचन कहते हैं।

जय श्री हनुमान जी
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