ये शाम

ये शाम....

सजे संवरे से
हरियाली से सुसज्जित
इतराते हुए 
ये आवारा से 
जंगली पेड़
बेपरवाह से खेत
मुस्कुराता हुआ नील गगन 
प्रेम से सरोबर ये शाम...
क्यों ना
आओ मिल जाएं हम
सुमन और सुगंध की तरह..

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