14 सितंबर : हिन्दी दिवस
14 सितंबर : आज हिन्दी दिवस है। हर साल आता है और चला भी जाता है, कुछ नारे होते हैं, भाषण होता है, खाना पीना होता है और बड़ी बड़ी बातें भी होती हैं.. लेकिन नतीजा आप सब जानते हैं. इसके जिम्मेदार सरकार ही नहीं हम सब भी हैं कैसे सोचिये.....
इसके कई कारण है।
1. क्षेत्रीयवाद भाषा जो हिंदी को कभी पनपने नहीं देती.
2. हिंदी के प्रति सरकार और जनता की उदासीनता.
3. हिंदी सार्वजनिक पुस्तकालयों का आभाव.
4. हर जगह अंगेज़ी की ही महत्ता.
6. क़ानूनी कार्यों में अँगरेज़ी भाषा को ही मान्यता। जैसे इन्शुरन्स या अन्य कानूनी दस्तावेजों में इंग्लिश वर्जन ही मान्य होता है.
7. कितना दुःख की बात है की अपने ही देश में हिंदी अजनबी हो गयी है.
8. सरकार का उदासीन रवैया। कई नेता हिंदी आने पर भी टूट फूटी अंग्रेजी बोलने में ही अपनी शान समझते है.
9. सभी नेताओं का, सार्वजनिक सभाओं में हिंदी बोलना अनिवार्य हो.
10. हिंदी को अंतर्रास्ट्रीय स्तर पर पहुचना.
11. प्रत्येक राज्य में हिंदी विश्वविद्यालयों की स्थापना हो और ऑनलाइन मुफ्त हिंदी शिक्षण की व्यवस्था..
12. क्या हम हिंदी को मन से चाहते है क्या हम हिंदी भाषा के प्रति वफादार है... प्रण लो हिंदी की सम्मान दिलाएंगे
13. हम अंग्रेजी के दुश्मन नहीं है, अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय भाषा है लेकिन ध्यान रहे हिंदी भारत की महान भाषा है.
14. हिंदी के साथ बिज़नेस के लिए अंग्रेजी भी जरूरी है।
संक्षेप में : हम भारतीयों को हिंदी को सम्मान जरूर देना चाहिए तथा भारतीय भाषाओँ में हिंदी सबसे ऊपर होनी चाहिए.. तो मित्रों अंगेरजी के साथ हिंदी बोलने में शर्म कैसी...
भारत की शान : हिंदी महान
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