सुहानी शाम
ढलता सुरमयी सूरज
मदहोश है सिंदूरी शाम
जमीं ने आज फिर
खुशियों की मांग सज़ा ली है..
😃😃🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂
इस छोटे से दिल में
मचलती हैं यादें
बड़ी बड़ी सी..
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मौका नही मिलता
रोज़ रूबरू होने का
कभी कभी मिलना
बहुत अच्छा लगता है ....
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🌞🌞🙂
ये रास्ते
राह दिखलाते हैं
पहुंचाते हैं मंज़िलों तक
सफर हो प्यारा तो
उड़े चले जाते हैं
मंज़िलों का क्या
हर मोड़ पर
यादों के सिलसिले
जुड़ते जाते हैं...
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🙂
वक्त की फितरत तो देखो...
कहाँ से कहाँ ले जाता है..
घूम के उसी जगह पे ले आता है
जहां से हम चले थे कभी साथ साथ.....
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