शायरी


 शायरी....

गुलज़ार साहब लिखते हैं......

"तुझ पर खर्च करने के लिए 
बहुत कुछ नहीं था मेरे पास...,
थोडा वक्त था...थोडा मैं...
दोनों बरबाद हो गये।"

🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂

"ढलता सूरज भी
कितनी खूबसूरती से 
एक वादा कर जाता हैं ...
रात में 
जितनी भी काली गहराई हो 
उजला सवेरा जरूर आता हैं"

🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂

तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई
शिकवा तो नहीं, शिकवा नहीं, 
तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन
ज़िन्दगी तो नहीं, 

😊😊😊😊😊😊😊

तेरी सूरत जो भरी रहती है 
आँखों में सदा
अजनबी चेहरे भी 
पहचाने से लगते हैं मुझे
तेरे रिश्तों में तो 
दुनियाँ ही पिरो ली मैने....

😊😊😊😊😊😊😊

तुम ने क्यों न पूछ लिया. . 
अब कब मिलेंगे हम......

😊😊😊😊😊😊😊😊

इन रेशमी राहों में, 
इक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुँचती है,

😊😊😊😊😊😊😊😊

बहुत से लम्हे छोटे. 
बहुत छोटे होते है. . 
अक्सर खो जाते है. . 

धन्यवाद गुलजार साहब 

कोई टिप्पणी नहीं: