प्रातःकाल


प्रातःकाल

जब भी देखता हूँ
उगते सूर्यदेव को
खिलखिलाते फूलों को
मस्त बहती बयार को
उन्मुक्त गगन में पंछियों को
हरी भरी वादियों को
ऊंचे ऊंचे पहाड़ो को
लहलहाते खेतों को
सोचता हूँ
ईश्वर की बनाई ये दुनिया
कितनी खूबसूरत....

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