दान

दान

"सेठ इस फकीर को कुछ दे दे, ईश्वर तेरी मनोकामना जरूर पूरी करेगा" फकीर दोनो हाथ फैलाए कुछ सिक्कों की उम्मीद कर रहा था

"तू क्या आशिर्वाद देगा भिखारी, ये देख मैं भगवान को सोने का मुकुट चढ़ाऊंगा और फिर देखना वो मेरी मानोकामना जरूर पूरी करेगा" सेठ भी मंदिर की सीढ़ियां चढ़ते हुए सोने का मुकुट दिखाते हुए घमंड से बोला

"अरे सेठ तू तो भगवान से भी सौदा करने आया है, भगवान तेरे दान का क्या करेगा, वो तो खुद दाता है, कुछ गरीबों के लिये भी दान पुण्य किया कर, ऊपर तेरे वो ही काम आएगा" इस बार भिखारी की बात में थोड़ी तल्खी और निराशा थी

मैं सोचता हूं, की इंसान भी क्या चीज है, सबके दाता श्री भगवान को दान के नाम पर देता है और उसी दान से अधिक पाने की उम्मीद करता है.. 

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