यादें....
ना पेड़ की शाखाओं ने बक्शा
न उड़ती फिरती हवाओं ने बक्शा
मैं डाल से टूटा पत्ता सा
आवारा ना बनता तो क्या करता...
😀😀😀😀😀😀
क्षणिकाएं........
कभी शाम को मिलो
अदरक वाली चाय पिलायेंगे
हम भी "मन की बात" कहेंगे
तुम भी कोई किस्सा सुनाना
हम अपने फसाने सुनाएंगे...
🌞🌞🌞🌞🌞😍😍
ओ गुलाब चाहने वालो
काँटों से परहेज़ क्यों
ओ सुख चाहने वालो
दुख से परहेज क्यों
खींच लो आँचल काँटों से
गुलाब जरूर मिलेगा
ये जीवन है
बिन काँटे जीवन कैसा ??...
😁😁😁🌞🌞🌞🌞🌞🌞
वक्त ने चुपके से कहा
"गुजार ले ये शामें यू साथ साथ
फिर मत कहना की वक्त नही था"
😀😀😀😀😀😀😀😀😀
ये शाम की तनहाई
ये हसींन वादियां
खिलखिलता चमन ।
आज ज़िन्दगी
मदहोश हो गयी है।।
😂😂😂😂😂🌞🌞🌞
कुछ तुम कहो
कुछ हंम कहें ।
दुनिया
जले तो जले ।।
😀😀😆😆😆😀🌞🌞🌞
डोर ऊपरवाले के हाथ ।
जानले तू ए नादान पुतले
ऊपर ना जायेगा कुछ भी साथ ।।
😀😀😀😀😀😀🌞🌞🌞
2 टिप्पणियां:
डिअर गणेश जी
बहुत अच्छा लिखा हैरहें लिखते रहें
सुब्रमनियम अन्नासलाई चेन्नई
Dear Sharma
Your pen has lot of pain. Wonderful poems.
Please keep writing
John, Hindi learner
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