विश्व पशु कल्याण दिवस

World Animal Welfare Day 


विश्व पशु कल्याण दिवस 

आज विश्व पशु कल्याण दिवस है और यह दिन हर साल 4 अक्टूबर को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य पशुओं के प्रति दया और करुणा की भावना को जागृत करना है और पशुओं के अधिकारों और उनके कल्याण के बारे में सोचना है.

इस दिन की शुरुवात 1925 में इटली के मिलान शहर से शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य लोगों को पशुओं के प्रति दया और करुणा की भावना को बताना है

आप भी अपने आसपास पशुओं की रक्षा के लिए बहुत कुछ कर सकते हो जैसे...

- जानवरों के प्रति दया और करुणा की भावना को जागृत करना, इन पर हो रहे अत्याचार को रोकना.

- आवारा जानवरों को चारा या रोटी खिलाना जिनको उनके मालिकों ने छोड़ दिया हो.

- ऐसे संगठनों की तन, मन और धन से सहायता करना जो बीमार असहाय जानवरों के लिए काम करते हैं.

- अपने आसपास आवारा जानवरों को मार कर ना भगाएं और कॉलोनी के सहयोग से सार्वजनिक स्थान पर उनका पालन करें और देखभाल करें.

आओ आज प्राण लें हम कुछ कर पाएं या ना कर पाएं लेकिन किसी जानवर पर अत्याचार तो बिल्कुल भी नहीं करेंगे चाहे वह गली का कुत्ता हो या कोई आवारा जानवर.

जय हिंद

साहिर लुधियानवी

साहिर लुधियानवी का जीवन परिचय

साहिर लुधियानवी का जन्म 8 मार्च 1921 को पंजाब प्रांत में लुधियाना के गांव करीमपुरा में हुआ था. साहिर की प्रारंभिक शिक्षा लुधियाना में ही हुई थी लेकिन स्नातक की उपाधि इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी. 

साहिर ने अपना प्रारंभिक लेखन उर्दू की कविताओं से आरंभ किया था लेकिन बाद में वे हिंदी में लिखने लगे और हिंदी में ज्यादा लोकप्रिय हुए थे. साहिर की गजलों में अधिक पकड़ होने के कारण उन्हें “ग़ज़ल सम्राट” कहा जाने लगा था. उनकी गजलों में राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हुआ करते थे. साहिर ने कई फ़िल्मों के लिए गीत भी लिखे थे जो श्रोताओं और दर्शकों ने दिल से पसंद किए. साहिर ने अपने जीवन काल में बहुत सी किताबें भी लिखीं थीं.

इन क्रांतिकारी और समाज सुधारक महान कवि साहिर का इंतकाल 25 अक्टूबर 1980 को मुंबई में हुआ था. स्‍वर्गीय साहिर लुधियानवी की जयंती के अवसर पर तत्कालीन भारत के राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने राष्‍ट्रपति भवन में 8 मार्च, 2013 को उनकी याद में एक डाक टिकट भी जारी किया था.

साहिर लुधियानवी की शायरी में उर्दू साहित्य को बहुत ही खूबसूरती तरीके से प्रस्तुत किया था.

उनकी शायरी की के कुछ अंश...

“वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन 
 उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा…”
 -साहिर लुधियानवी

“देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से 
 चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से…”
 -साहिर लुधियानवी

"ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है 
 क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम…”
 -साहिर लुधियानवी

“मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया 
 हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया…”
-साहिर लुधियानवी

“इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथ 
 जैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से…”
-साहिर लुधियानवी

“तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूँडो 
 चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है…”
-साहिर लुधियानवी

“बे पिए ही शराब से नफ़रत 
 ये जहालत नहीं तो फिर क्या है…”
-साहिर लुधियानवी

“हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को 
 क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया…”
-साहिर लुधियानवी

“ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ 
 मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया…”
-साहिर लुधियानवी

आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें 
 हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं…”
-साहिर लुधियानवी

“तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं 
 महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है…”
-साहिर लुधियानवी

“फिर खो न जाएँ हम कहीं दुनिया की भीड़ में 
 मिलती है पास आने की मोहलत कभी कभी…”
-साहिर लुधियानवी

“हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत 
 देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम…”
-साहिर लुधियानवी

“गर ज़िंदगी में मिल गए फिर इत्तिफ़ाक़ से 
 पूछेंगे अपना हाल तिरी बेबसी से हम…”
-साहिर लुधियानवी

“इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर 
 हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़…”
-साहिर लुधियानवी

उन के रुख़्सार पे ढलके हुए आँसू तौबा 
 मैं ने शबनम को भी शोलों पे मचलते देखा…”
-साहिर लुधियानवी

“बर्बादियों का सोग मनाना फ़ुज़ूल था 
 बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया…”
-साहिर लुधियानवी

“तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही 
 तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ…”
-साहिर लुधियानवी

“तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम 
 ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम…”
-साहिर लुधियानवी

“कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त 
 सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया…”
-साहिर लुधियानवी

अरे ओ आसमां वाले बता इस में बुरा क्या है
ख़ुशी के चार झोंके गर इधर से भी गुज़र जाएं
-साहिर लुधियानवी

तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जाएं
वही आंसू वही आहें वही ग़म है जिधर जाएं
-साहिर लुधियानवी

पेड़ों के बाज़ुओं में महकती है चांदनी
बेचैन हो रहे हैं ख़यालात क्या करें
-साहिर लुधियानवी

ज़मीं ने ख़ून उगला आसमाँ ने आग बरसाई
जब इंसानों के दिल बदले तो इंसानों पे क्या गुज़री
-साहिर लुधियानवी

कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता
वही बेगाने चेहरे हैं जहाँ जाएँ जिधर जाएँ
-साहिर लुधियानवी

साहिर लुधियानवी की कुछ चुनिंदा गजलें 

कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया 
बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया 
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को 
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया 
किस लिए जीते हैं हम किस के लिए जीते हैं 
बारहा ऐसे सवालात पे रोना आया 
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त 
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
-साहिर लुधियानवी

तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम 
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम 
मायूसी-ए-मआल-ए-मोहब्बत न पूछिए 
अपनों से पेश आए हैं बेगानगी से हम 
लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उमीद 
लो अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम 
उभरेंगे एक बार अभी दिल के वलवले 
गो दब गए हैं बार-ए-ग़म-ए-ज़िंदगी से हम 
गर ज़िंदगी में मिल गए फिर इत्तिफ़ाक़ से 
पूछेंगे अपना हाल तिरी बेबसी से हम 
अल्लाह-रे फ़रेब-ए-मशिय्यत कि आज तक 
दुनिया के ज़ुल्म सहते रहे ख़ामुशी से हम
-साहिर लुधियानवी

चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है 
जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे ग़ुरूर आ जाता है 
तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं 
महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है 
हम पास से तुम को क्या देखें तुम जब भी मुक़ाबिल होते हो 
बेताब निगाहों के आगे पर्दा सा ज़रूर आ जाता है 
जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला
मरने का सलीक़ा आते ही जीने का शुऊ'र आ जाता है
-साहिर लुधियानवी

तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जाएँ
वही आँसू वही आहें वही ग़म है जिधर जाएँ
कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता
वही बेगाने चेहरे हैं जहाँ जाएँ जिधर जाएँ
अरे ओ आसमाँ वाले बता इस में बुरा क्या है
ख़ुशी के चार झोंके गर इधर से भी गुज़र जाएँ
-साहिर लुधियानवी

सदियों से इंसान ये सुनता आया है
सदियों से इंसान ये सुनता आया है
दुख की धूप के आगे सुख का साया है
हम को इन सस्ती ख़ुशियों का लोभ न दो
हम ने सोच समझ कर ग़म अपनाया है
झूट तो क़ातिल ठहरा इस का क्या रोना
सच ने भी इंसाँ का ख़ूँ बहाया है
पैदाइश के दिन से मौत की ज़द में हैं
इस मक़्तल में कौन हमें ले आया है
अव्वल अव्वल जिस दिल ने बरबाद किया
आख़िर आख़िर वो दिल ही काम आया है
इतने दिन एहसान किया दीवानों पर
जितने दिन लोगों ने साथ निभाया है
-साहिर लुधियानवी

साहिर के फिल्मी गीत

फ़िल्म दाग का 
यह गाना जो किशोर कुमार ने गाया है
मेरे दिल में आज क्या है
तू कहे तो मैं बता दूँ
तेरी ज़ुल्फ़ फिर सवारूँ
तेरी माँग फिर सजा दूँ
मेरे दिल में ...
मुझे देवता बनाकर, तेरी चाहतों ने पूजा
मुझे देवता बनाकर, तेरी चाहतों ने पूजा
मेरा प्यार कह रहा है,
मैं तुझे खुदा बना दूँ
तेरी ज़ुल्फ़ फिर ...
कोई ढूँढ्ने भी आए, तो हमें ना ढूँढ़ पाए 
कोई ढूँढ्ने भी आए, तो हमें ना ढूँढ़ पाए 
तू मुझे कहीं छुपा दे,
मैं तुझे कहीं छुपा दूँ
तेरी ज़ुल्फ़ फिर ...
मेरे बाज़ुओं मे आकर, तेरा दर्द चैन पाए 
मेरे बाज़ुओं मे आकर, तेरा दर्द चैन पाए 
तेरे गेसुओं मे छुपकर,
मैं जहाँ के ग़म भुला दूँ
तेरी ज़ुल्फ़ फिर ...

अभी न जाओ छोड़ कर 
ये गाना आशा भोंसले और मोहम्मद रफ़ी ने गाया है
अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं 
अभी अभी तो आई हो अभी अभी तो
अभी अभी तो आई हो, बहार बनके छाई हो
हवा ज़रा महक तो ले, नज़र ज़रा बहक तो ले
ये शाम ढल तो ले ज़रा ये दिल सम्भल तो ले ज़रा
मैं थोड़ी देर जी तो लूँ, नशे के घूँट पी तो लूँ
नशे के घूँट पी तो लूँ
अभी तो कुछ कहाँअहीं, अभी तो कुछ सुना नहीं
अभी न जाओ छोड़कर के दिल अभी भरा नहीं
सितारे झिलमिला उठे, सितारे झिलमिला उठे, चराग़ जगमगा उठे
बस अब न मुझको टोकना
बस अब न मुझको टोकना, न बढ़के राह रोकना
अगर मैं रुक गई अभी तो जा न पाऊँगी कभी
यही कहोगे तुम सदा के दिल अभी नहीं भरा
जो खत्म हो किसी जगह ये ऐसा सिलसिला नहीं
अभी नहीं अभी नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं
अभी न जाओ छोड़कर के दिल अभी भरा नहीं
अधूरी आस, अधूरी आस छोड़के, अधूरी प्यास छोड़के
जो रोज़ यूँही जाओगी तो किस तरह निभाओगी
कि ज़िंदगी की राह में, जवाँ दिलों की चाह में
कई मुक़ाम आएंगे जो हम को आज़माएंगे
बुरा न मानो बात का ये प्यार है गिला नहीं
हाँ, यही कहोगे तुम सदा के दिल अभी नहीं भरा
हाँ, दिल अभी भरा नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है 
ये गाना मुकेश ने गाया है

कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिये 
तू अबसे पहले सितारों में बस रही थी कहीं 
तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये 
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के ये बदन ये निगाहें मेरी अमानत हैं
ये गेसुओं की घनी छाँव हैं मेरी ख़ातिर
ये होंठ और ये बाहें मेरी अमानत हैं
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे तू मुझे चाहेगी उम्र भर यूँही
उठेगी मेरी तरफ़ प्यार की नज़र यूँही
मैं जानता हूँ के तू ग़ैर है मगर यूँही
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे बजती हैं शहनाइयां सी राहों में
सुहाग रात है घूँघट उठा रहा हूँ मैं 
सुहाग रात है घूँघट उठा रहा हूँ मैं 
सिमट रही है तू शरमा के मेरी बाहों में
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है

कह दूँ तुम्हें या चुप रहूँ...
फ़िल्म दीवार का यह गाना आशा भोंसले और किशोर कुमार ने गाया है
कह दूँ तुम्हें
या चुप रहूँ
दिल में मेरे आज क्या है
कह दूँ तुम्हें या चुप रहूँ
दिल में मेरे आज क्या है
जो बोलो तो जानूँ गुरू तुमको मानूँ
चलो ये भी वादा है
कह दूँ तुम्हें...
सोचा है तुमने कि चलते ही जाएँ
तारों से आगे कोई दुनिया बसाएँ
तो तुम बताओ
सोचा ये है कि तुम्हें रस्ता भुलाएँ
सूनी जगह पे कहीं छेड़ें सताएँ
हाय रे ना ना
ये ना करना
अरे नहीं रे नहीं रे नहीं रे नहीं रे नहीं नहीं
कह दूँ तुम्हें...
सोचा है तुमने कि कुछ गुनगुनाएँ
मस्ती में झूमें ज़रा धूमें मचाएँ
तो तुम बताओ ना
सोचा ये है कि तुम्हें नज़दीक लाएँ
फूलों से होंठों की लाली चुराएँ
हाय रे ना ना 
ये ना करना
अरे नहीं रे नहीं रे नहीं रे नहीं रे नहीं नहीं
कह दूँ तुम्हें...


छू लेने दो नाज़ुक होठों को...
फ़िल्म काजल का यह गाना मोहम्मद रफ़ी ने गाया है
छू लेने दो नाज़ुक होठों को
कुछ और नहीं हैं जाम हैं ये
क़ुदरत ने जो हमको बख़्शा है
वो सबसे हँसीं ईनाम हैं ये
शरमा के न यूँ ही खो देना
रंगीन जवानी की घड़ियाँ
बेताब धड़कते सीनों का
अरमान भरा पैगाम है ये, छू लेने दो ...
अच्छों को बुरा साबित करना
दुनिया की पुरानी आदत है
इस मय को मुबारक चीज़ समझ
माना की बहुत बदनाम है ये, छू लेने दो ...

तुम अगर साथ देने का वादा करो...
फ़िल्म हमराज़ का यह गाना रवी के संगीत पर महेन्द्र कपूर ने गाया है
तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूँही मस्त नग़मे लुटाता रहूं
तुम मुझे देखकर मुस्कुराती रहो
मैन तुम्हें देखकर गीत गाता रहूँ, 
तुम अगर...
कितने जलवे फ़िज़ाओं में बिखरे मगर
मैने अबतक किसीको पुकरा नहीं
तुमको देखा तो नज़रें ये कहने लगीं
हमको चेहरे से हटना गवारा नहीं
तुम अगर मेरी नज़रों के आगे रहो
मैन हर एक शह से नज़रें चुराता रहूँ, 
तुम अगर...
मैने ख़्वाबों में बरसों तराशा जिसे
तुम वही संग-ए-मरमर की तस्वीर हो
तुम न समझो तुम्हारा मुक़द्दर हूँ मैं
मैं समझता हूं तुम मेरी तक़दीर हो
तुम अगर मुझको अपना समझने लगो
मैं बहारों की महफ़िल सजाता रहूँ,
तुम अगर...
मैं अकेला बहुत देर चलता रहा
अब सफ़र ज़िन्दगानी का कटता नहीं
जब तलक कोई रंगीं सहारा ना हो
वक़्त क़ाफ़िर जवानी का कटता नहीं
तुम अगर हमक़दम बनके चलती रहो
मैं ज़मीं पर सितारे बिछाता रहूँ,
तुम अगर साथ देने का वादा करो ...

तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई...
फ़िल्म आ गले लग जा का यह गाना किशोर कुमार और सुषमा श्रेष्ठ ने गाया है
तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई
यूँ ही नहीं दिल लुभाता कोई 
जाने तू या जाने ना, माने तू या माने ना 
देखो अभी खोना नहीं, कभी जुदा होना नहीं 
हरदम यूँ ही मिले रहेंगे दो नैन 
वादा रहा ये इस शाम का 
जाने तू या जाने ना, माने तू या माने ना 
वादे गये बातें गईं, जागी जागी रातें गईं 
चाह जिसे मिला नहीं, तो भी कोई गिला नहीं 
अपना तो क्या जिये मरे चाहे कुछ हो 
तुझको तो जीना रास आ गया 
जाने तू या जाने ना, माने तू या माने ना

तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती 
फ़िल्म कभी कभी का यह गाना लता मंगेशकर और किशोर कुमार ने गाया है
तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती नज़ारे हम क्या देखें
तुझे मिलके भी प्यास नहीं घटती नज़ारे हम क्या देखें
पिघले बदन तेरे तपती निगाहों से
शोलों की आँच आए बर्फ़ीली राहों से
लगे कदमों से आग लिपटती नज़ारे हम क्या देखें
रंगों की बरखा है खुशबू का साथ है
किसको पता है अब दिन है की रात है
लगे दुनिया भी आज सिमटती नज़ारे हम क्या देखें
पलकों पे फैला तेरी पलकों का साया है
चेहरे ने तेरे मेरा चेहरा छुपाया है
तेरे जलवों की धुँध नहीं छँटती नज़ारे हम क्या देखें

जय हिंद

नोट: यह लेख मैने गहन अध्ययन के साथ लिखा है, हो सकता है आपको कोई जानकारी अधूरी लग सकती है उसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं.

हिन्दी दिवस


हिंदी दिवस...

आज 14 सितंबर है इस दिन को हम हिंदी दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं. लेकिन हिंदी को जो सम्मान मिलना चाहिए वो आज भी नहीं मिल पाया है और इसके लिए सरकार के साथ हम सब भी जिम्मेदार हैं.

हर वर्ष भाषण होते है, घोषणाएं होती है और फिर वही पुराना हाल. हमारे देश में घोषणाएं तो तेजी से होती हैं लेकिन उनपर अमल नहीं होता है आज भी भारत में अंग्रेजी हिंदी पर हावी रहती है. हमारे नेता लोग, लेखक, शिक्षक, उपन्यासकार, साहित्यकार और विभिन्न राज्यों के लोग अंग्रेजियत अपनाने लगे हैं और इसे अपनी शान भी समझते है. बड़ी हंसी आती है जब हिंदी भाषी हिंदी को भी अंग्रेजी स्टाइल से बोलते हैं जैसे अभी अभी भारत में प्रवेश किया हो.

हिंदी को प्रभावी बनाने के लिए सरकार को हर राज्य में हिंदी विश्वविद्यालय खोलने चाहिए और प्रकाशन विभाग को हिंदी में सस्ता साहित्य उपलब्ध कराना चाहिए. विदेशी साहित्यों का अनुवाद भी उपलब्ध कराना चाहिए. हिंदी काव्य पाठ और हिंदी लेखकों का सम्मान करना चाहिए. सरकारी कार्यालयों, बैंकों और निजी क्षेत्रों में हिन्दी को प्रोत्साहन देना चाहिए. हिन्दी पत्र पत्रिकाएं जो धीरे धीरे लुप्त हो रहीं है इनको वित्तीय सहायता देकर दुबारा चलाना चाहिए. सरकारी पत्रिकाओं का हिंदी संस्करण का प्रचार प्रसार करना चाहिए. हिंदी लेखन, इबुक्स, पीडीएफ बुक्स और पठन सामग्री के सॉफ्टवेयर बनाने चाहिए और उनका प्रचार प्रसार करना चाहिए.

कुछ भी हो लेकिन मुझे तो मेरी मातृभाषा सबसे महान लगती है और में अपने ब्लॉग, लेखों और कविताओं में हिंदी को ज्यादा महत्व देता हूं. मेरी हिंदी मेरी मात्रभाषा ही नहीं मेरी भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम भी है.

आओ हिंदी अपनाएं.........

भारत के माथे की शान है हिन्दी
भावनाओं से भरी अनूठी है हिंदी
तुम भी पढ़ो हम भी पढ़ें हमारी हिंदी
हम सबको साथ लेकर चलती है हिन्दी
पंत, तुलसी, कबीर को भी थी प्यारी हिंदी
किसी भी भाषा की बैरी नहीं है ये हिंदी
बल्कि सभी को सीखने बुलाती हिंदी
मुझे तो प्यारी लगती है मेरी प्यारी हिंदी
यही तो है भारत माता के माथे की बिंदी
हे मातृभाषा सदा आपकी जय हो जय हो...