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कविताऐं



शामें ....  

सुहानी मस्तानी शामें
मदहोश कर देती हैं।
और सुना जाती है
अनकही दास्तानें,…




कंक्रीट .

कल तक खेत थे
जो हरे भरे
विकास के नाम पर
कट रहे हैं पेड़ बड़े बड़े
अब बैठने को छांव तक नही....


खामोशियां......

अक्सर खामोशीयां 
बहुत कुछ कह जाती है
कोई अनजान बने तो क्यों
लबों पे जमाने ने ताले जो जड़े हैं


कविताऐं


2019 : लैंसडाउन

शाम के साये में
लैंसडाउन की एक शाम
एक सुखद अहसास है ये
शहर की आपाधापी से दूर
प्रकृती की गोद में... 


आओ कुछ पल बिताएं
इन फूलों के साये में
क्योकि
अपनी तो यारी है
इन फूलों से....


फिर सूरज ले आया 
एक नई आस
कहने लगा
जीवन व्यर्थ ना गवायें
मेरी तरह
इस जग को चमकाएं....


तुम भी कुछ पल बिताओ 
फूलों के इन जंगलों में
यारी करलो इनसे
खुश रहोगे उम्रभर...


कविताऐं


आज सुबह  जमीन 
कुछ भीगी भीगी सी थी...
लगता है आकाश रोया होगा 
रातभर मेरी तरह ...


बड़े बड़े रास्तों में, 
उलझने वालो
पगडंडियां भी, 
मंज़िल तक
पहुंचा ही देती है....



सूरज ढल जाता है
चाँद उग आता है
चांदनी झांकने लगती है
खिड़कियों से ...






कविताएं


रिश्ते....

कुछ रिश्ते 
कभी नहीं मरते
हमारा रिश्ता भी
कुछ ऐसा ही है
पहले वो बोलती थी
मैं सुनता था
अब मैं बोलता हूं
और वो सुनती है



हम तुम


हम तुम......

हम तुम सलामत रहें 
जिंदगी यूं ही चलती रहे
वक्त का क्या
ये तो कट ही जाता है
कुछ प्यार में
कुछ इंतजार में
ये रातें भी तो अपनी ही हैं
ये भी काट ही लेंगें
उजालों के इंतज़ार में......

🙂🙂🙂🙂🙂

Thought....

Every day sun brings
happiness in our life
And take us to 
The new horizons...
And
We fly high 
with new visions.

Good morning 🙂
Have a nice day
gkkidiary.blogspot.com





कविताएं


जिंदगी....

ए जिंदगी
तू बहुत सताती है
क्यों ना तेरे पर
एक केस ठोक दूं...

कठपुतलियां...

धागों से बंधी थी
जिंदगानियां हमारी
ऊपर वाले कि बदौलत
कलाकार बन गए 
हम तुम...

😊😊😊😊

सलामत रहो.....

जहां भी रहो
तुम सलामत रहो
खुदा से यही दुआ मांगता हूं
हर रोज...


सुबह...

घर का कोना
बॉलकोनी हमारी
दूर कहीं हरियाली
मुक्त गगन में पंछी
एक चाय का प्याला
मेरी तन्हाई
और ढेर सारी
यादें तुम्हारी
सुबह सुबह 
और क्या चाहिए...
😊😊😊😊😊

हे कृष्णा

हे कृष्णा....

तुम्हारी ही शरण में रहूं
बनके तुम्हारा दास
तुम ही तो हो 
सबके पालनहार...

हे मानव....
मन अच्छा है तो
तेरा मन ही मंदिर है,
शरीर अच्छा है तो
तेरा शरीर ही मंदिर है
सोच भी तेरी पवित्र है तो
तेरी आत्मा ही तेरा मंदिर है...





कविताऐं...

कविताऐं...


पंछी......

पंछी बन जाएं
मुक्त गगन में उड़ने को..
कभी इधर उड़ें
कभी उधर उड़ें...


श्री कृष्ण जी कहते हैं......

जिस व्यक्ति को आपकी क़द्र नही
उसके साथ खड़े रहने से अच्छा हैं 
आप अकेले ही अच्छे हैं...
जय श्री कृष्णा
🙂🙂🙂


आधुनिका.....

तितली सी लहराती हो
हर फूल पर मंडराती हो
चपल चंचल मनमोहक सी
धन, पद, आत्म प्रदर्शन पर इठलाती हो...
आधुनिका हो 
स्वाभिमानी भी हो
तुम फिर भी एक नारी हो
एक भारतीय नारी......


राजस्थान


राजस्थान...

या धरती राणा प्रताप री
या धरती राजपूती शान री
या धरती मीराँ बाई री
या धरती पहाड़ और  धोरां री
या धरती हवेलियाँ और महलां री
या धरती मंदिरा री 
एक बार पधारो जी पावणा
पधारो म्हारे देश....
😊😊😊😊😊

कविताऐं



कविताऐं.....

ये जिन्दगी गुमसुम सी 
और ये उदास शामें
कुछ अच्छा नही लगता है
चलो दिल बहलाने के लिए
क्यों ना नोकझोंक ही कर ले....
😀😀😀😀😁😁😁😃😃

हमारा रिस्ता
कुछ इस कदर बढ़ने लगा
हम लिखते रहे
और आप पढ़ते रहे..

😀😀😀😀😀

तुम्हारी तारीफ़ 
करे भी तो कैसे करें
तुम तो एक किताब हो
और किताबें 
खामोश होकर भी
बहुत कुछ कह जाती हैं
ये तो अपना अपना नसीब है...

🙂🙂🙂🙂🙂🙂








ये पहाड़

ये पहाड़...

ये पहाड़
ना हंसते है
ना रोते हैं
ना हिलते हैं
तटस्थता से 
खड़े होते हैं....

स्मृतियां
पहाड़ों सी
पैठ बनाती हैं मन में
सरसराहट हवा की
यादों को सुलगा देती है
फिर से हम
यादों में खो जाते हैं....

नदी
झील
विशाल वृक्ष
पगडंडियां
पहाड़ बहुत याद आते हैं.....
😊😊😊😊

शुभ प्रातः

शुभ प्रातः...

सूरज निकला
हुआ सवेरा
पक्षियों ने पेड़ों पर 
डाला घेरा ..

नव उमंग
नव तरंग
पुलकित हुआ मन 
ऊर्जावान तन..

चलो चलें
नव आशा लिए
लेकर प्रफुल्लित मन
नव दिवस है आया
जागो 
सवेरा हुआ
सवेरा हुआ.... 
😊😊😊😊😊

दिन और रात


दिन और रात...

सूरज दिन में आता है
नई उमंगे लाता है
रात आती है
यादों के पल
लहराते हैं....

प्रगति है दिन
रात आराम है
हे इंसान 
पल पल का आनंद ले
क्योंकि
ये जिंदगी ना मिलेगी दुबारा.....
😊😊😊😊

सुबह

सुबह....

प्रथम किरणें सूरज की 
मिटाती अंधकार हैं
फूल मुस्कुराते हैं
चिड़ियायें चहचहाती हैं....

अलबेली धरा पर
ठंडी बयार मस्तानी
नई ताज़गी पेड़ों पर
हरियाली भी गुनगुनाती है...

उठो आलस छोड़ो
मेहनत करो जी जान से
नव दिवस
ये सुअवसर लाया है
🙂🙂🙂

व्यथा


व्यथा...

व्यथा मन की कही जाती नहीं
चुप्पी है की तोड़ी जाती नहीं...
धुंधली सी पीड़ा आंखों की
मन को भाती नहीं..
जिंदगी बंधी है यादों से
छोड़ी जाती नहीं...
आओ दोस्तों मिलजुल कर 
कुछ क्षण बिताएं
ये जिंदगी है की
फिर दुबारा मिलती नहीं...

😊😊😊😊😊
आजा तू भी
दम ले ले घड़ी भर
ये पल फिर पायेगा कहाँ..…
😊😊😊😊😊

मधुशाला

मधुशाला

बहुत दिनों के बाद
मुलाकात हुई तुमसे
होंठ कापें 
हाथ भी थरथराये....
फिर दिल ने कहा
ए "ओल्ड मोंक" 
तुम बिन 
जाएं भी तो 
जाएं कहाँ..
😊😊😊😊

उफ...घना अंधेरा है
दीए जलाओ 
रोशनी के लिए
रोशनी कम हो जहाँ
और तेल डाल आओ..
जब शाम ढल जाए
एक पैग बनाओ
मन के दिये से
अंधेरा दूर करो...
सजाओ 
कुछ पन्ने
यादों के भी
क्यों ना एक
किताब ही लिख डालो
चलो फिर पीओ और पिलाओ...
😁😁🍺🍺

उदास शामों को
हसीन बनाइये...
कुछ गाईये
कुछ गुनगुनाइए
कुछ सुनिए
कुछ सुनाईये
कुछ ना कर सको तो
एक पैग ओल्ड मोंक का 
हमारे साथ लीजिये...
क्योंकि
जिंदगी ना मिलेगी दुबारा.....
😊😊😊😊

दिल की बातें अक्सर
छिपी रहती हैं
मुस्कुराहटों और कहकहों में...
हमने तो हंसते देखा है
हर शख्श को मेहख़ानों में......

😊😊😊😊



शायरी


 शायरी....

गुलज़ार साहब लिखते हैं......

"तुझ पर खर्च करने के लिए 
बहुत कुछ नहीं था मेरे पास...,
थोडा वक्त था...थोडा मैं...
दोनों बरबाद हो गये।"

🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂

"ढलता सूरज भी
कितनी खूबसूरती से 
एक वादा कर जाता हैं ...
रात में 
जितनी भी काली गहराई हो 
उजला सवेरा जरूर आता हैं"

🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂

तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई
शिकवा तो नहीं, शिकवा नहीं, 
तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन
ज़िन्दगी तो नहीं, 

😊😊😊😊😊😊😊

तेरी सूरत जो भरी रहती है 
आँखों में सदा
अजनबी चेहरे भी 
पहचाने से लगते हैं मुझे
तेरे रिश्तों में तो 
दुनियाँ ही पिरो ली मैने....

😊😊😊😊😊😊😊

तुम ने क्यों न पूछ लिया. . 
अब कब मिलेंगे हम......

😊😊😊😊😊😊😊😊

इन रेशमी राहों में, 
इक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुँचती है,

😊😊😊😊😊😊😊😊

बहुत से लम्हे छोटे. 
बहुत छोटे होते है. . 
अक्सर खो जाते है. . 

धन्यवाद गुलजार साहब 

शायरी


शायरी

निदा फ़ाज़ली साहब मन को बातों को शेर ओ शायरी में इस कदर व्यक्त करते हैं लगता है आपकी अपनी मन की बात कह रहे हों....

आप भी महसूस कीजिये
*********
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो
*********
किसीके वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
*********
यहाँ किसीको कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो
*********
यही है ज़िंदगी, कुछ ख़ाक चंद उम्मीदें
इन्ही खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो"
*********
अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला
हम ने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला
*********
अब किसी से भी शिकायत न रही
जाने किस किस से गिला था पहले
**********
अपने लहजे की हिफाज़त कीजिए
शेर हो जाते हैं ना-मालूम भी
**********
अपनी मर्जी से कहां अपने सफर के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं
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एक बे-चेहरा सी उम्मीद है चेहरा चेहरा
जिस तरफ देखिए आने को है आने वाला
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एक महफिल में कई महफिलें होती हैं शरीक
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा
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घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए
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गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया
होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया
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कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता
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कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई
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उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा
वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा
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उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला
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पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं
**********

धन्यवाद

यादें

यादें....

तुम्हारी यादों में डूबकर
हमेशा अच्छी लगती है
ये तनहाइयां....
स्वागत रहेगा हमेशा 
तुम्हारी यादों का..
😌😌😌😌😌😌

बादलों की लुकाछिपी
सूरज हैं परेशान
आज बारिश में भीगी है 
फिर यादों की एक शाम..
😌😌😌😌😌😌😌😌