नैनीताल झील का मनोरम द्रश्य

भारतीय राज्य उत्तराखंड का एक जिला है । मूलतया य शहर अन्ग्रेजो के जमाने मे पर्वतीय स्थान के रूप में प्रसिद्ध हुआ. यहां नैना देवी का एक प्रसिद्ध मन्दिर है. नगर के बीचोंबीच एक झील भी है जिस की आकृति देवी की आंख यानि “नैन” जैसी है. इसी झील (ताल) के कारण इस स्थान का नाम नैनीताल पडा. नैनीताल आज भारत के प्रसिद्ध हिल स्टेशन में नैनीताल एक है। यहाँ हर साल यहां गर्मियों में पर्यटक प्रकृति का आनंद उठाने आते हैं.

नैनीताल के ताल के दोनों ओर सड़के हैं। ताल का मल्ला भाग मल्लीताल और नीचला भाग तल्लीताल कहलाता है। मल्लीताल में फ्लैट का खुला मैदान है। मल्लीताल के फ्लैट पर शाम होते ही मैदानी क्षेत्रों से आए हुए सैलानी एकत्र हो जाते हैं। यहाँ नित नये खेल - तमाशे होते रहते हैं। संध्या के समय जब सारी नैनीताल नगरी बिजली के प्रकाश में जगमगाने लगती है तो नैनीताल के ताल के देखने में ऐसा लगता है कि मानो सारी नगरी इसी ताल में डूब सी गयी है। संध्या समय तल्लीताल से मल्लीताल को आने वाले सैलानियों का तांता सा लग जाता है। इसी तरह मल्लीताल से तल्लीताल (माल रोड) जाने वाले प्रकृतिप्रेमियों का काफिला देखने योग्य होता है।

नैनीताल, पर्यटकों, सैलानियों पदारोहियों और पर्वतारोहियों का चहेता नगर है जिसे देखने प्रतिवर्ष हजारों लोग यहाँ आते हैं। कुछ ऐसे भी यात्री होते हैं जो केवल नैनीताल का "नैनी देवी" के दर्शन करने और उस देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने की अभिलाषा से आते हैं। यह देवी कोई और न होकर स्वयं 'शिव पत्नी' नंदा (पार्वती) हैं। यह तालाब उन्हीं की स्मृति का द्योतक है।

नैनीताल के कुछ चित्र
१। नैनीताल का मनोरम द्रश्य -चिडिया घर से लिया गया चित्र )


















२. पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त जी की मूर्ति मल्लीताल, माल रोड, नैनीताल।


















३। नैनीताल का जू (चिडिया घर )


















४. नैनीताल की शांत और सुंदर झील सबके मन को आंदोलित करती है।
यह बोट क्लब का सीन है जो माल रोड के पास है ।


















५। यह कुमाओं का प्रसिद्ध ऐपन कला है । जो यहाँ की सम्रध संस्कृति को दर्शाती है.
पहाड़ में कोई भी मंगल काम हो एपन जरुर बनाये जाते है.


















६. यह चित्र मैंने मल्लीताल अपने होटल अंकुर प्लाजा से लिए है।
जहाँ से भी देखो शांत ही नजर आती है।
मुझे पन्त जी एक कविता याद आती है।
"लो चित्र शलभ सी पंख खोल
उड़ने को है कुसुमित घटी "




















७. नैन्तिअल का मल्लीताल का पटरी मार्केट जहाँ पर्यटक अपनी मन पसाद का सामन खरीदते है।
मल्लीताल में सभी प्रकार के रेस्तौरांत है जहाँ आप अपने बजट के हिसाब से भोजन कर सकते हैं।


















८. सुंदर पड़ी पुष्प जिनकी छठा देखते ही बनती है।


















नैनीताल की खोज
सन् १८३९ ई. में एक अंग्रेज व्यापारी पी. बैरन था। वह रोजा, जिला शाहजहाँपुर में चीनी का व्यापार करता था। इसी पी. बैरन नाम के अंग्रेज को पर्वतीय अंचल में घूमने का अत्यन्त शौक था। केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा करने के बाद यह उत्साही युवक अंग्रेज कुमाऊँ की मखमली धरती की ओर बढ़ता चला गया। एक बार खैरना नाम के स्थान पर यह अंग्रेज युवक अपने मित्र कैप्टन ठेलर के साथ ठहरा हुआ था। प्राकृतिक दृश्यों को देखने का इन्हें बहुत शौक था। उन्होंने एक स्थानीय व्यक्ति से जब 'शेर का डाण्डा' इलाके की जानकारी प्राप्त की तो उन्हें बताया गया कि सामने जो पर्वत हे, उसको ही 'शेर का डाण्डा' कहते हैं और वहीं पर्वत के पीछे एक सुन्दर ताल भी है। बैरन ने उस व्यक्ति से ताल तक पहुँचने का रास्ता पूछा, परन्तु घनघोर जंगल होने के कारण और जंगली पशुओं के डर से वह व्यक्ति तैयार न हुआ। परन्तु, विकट पर्वतारोही बैरन पीछे हटने वाले व्यक्ति नहीं थे। गाँव के कुछ लोगों की सहायता से पी. बैरन ने 'शेर का डाण्डा' (२३६० मी.) को पार कर नैनीताल की झील तक पहुँचने का सफल प्रयास किया। इस क्षेत्र में पहुँचकर और यहाँ की सुन्दरता देखकर पी. बैरन मन्त्रुमुग्ध हो गये। उन्होंने उसी दिन तय कर ड़ाला कि वे अब रोजा, शाहजहाँपुर की गर्मी को छोड़कर नैनीताल की इन आबादियों को ही आबाद करेंगे।

पी. बैरन 'पिलग्रिम' के नाम से अपने यात्रा - विवरण अनेक अखबारों को भेजते रहते थे। बद्रीनाथ, केदारनाथ की यात्रा का वर्णन भी उन्होंने बहुत सुन्दर शब्दों में लिखा था। सन् १८४१ की २४ नवम्बर को, कलकत्ता के 'इंगलिश मैन' नामक अखबार में पहले - पहले नैनीताल के ताल की खोज खबर छपी थी। बाद में आगरा अखबार में भी इस बारे में पूरी जानकारी दी गयी थी। सन् १८४४ में किताब के रुप में इस स्थान का विवरण पहली बार प्रकाश में आया था। बैरन साहब नैनीताल के इस अंचल के सौन्दर्य से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने सारे इलाके को खरीदन का निश्चय कर लिया। पी बैरन ने उस लाके के थोकदार से स्वयं बातचीत की कि वे इस सारे इलाके को उन्हें बेच दें।

जय नंदा देवी.
जीके इंडियन



11 टिप्‍पणियां:

Anonymous ने कहा…

Excellent written. All the best.

Anonymous ने कहा…

pahada janam mero naina devi ko aashirvad hamesha choo mer sath.

Anonymous ने कहा…

aur ache photo catch kare..............

Sonu ने कहा…

sonu
soni

Sonu ने कहा…

sonu

Anonymous ने कहा…

i love naini tal

Anonymous ने कहा…

ilove neni tal

Anonymous ने कहा…

i love nainita par or beautiful photos catch kiye ja sakte hai nainital k bahut kuch or hai nainital me. A.A

rohitpawar ने कहा…

i love you nani tall mohit

Anonymous ने कहा…

naintal is a beautifully and charming place it a well suitable for summer vacation.

Nasreen Khan Aligarh

जीकेइंडियन - GKINDIAN ने कहा…

khan bhai... Thanks