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कविताऐं


देखिए
वक्त की नजाकत को
घर के बहुत से कमरों (Bedrooms) ने
घर में रहने वालों को ही 
आपस में पड़ोसी बना दिया...
😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀


जिंदगी
रुकी रुकी सी है 
थोड़ा सा चल तो लो 
मंजिलों का क्या
चलते रहोगे तो
मिल ही जाएंगी..
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊


जब भी मिलो
अपनों से
हैसियत मत पूछना..
याद करना
सुनहरे लम्हों को
और खिलखिलाना..
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂😀😀😀😀😀


ना ख़ुशी खरीद सकते हैं
ना गम खरीद सकते हैं
खाली हाथ आते हैं
खाली हाथ जाते हैं
ना जाने क्यों फिर भी
जिंदगी में अकड़े रहते हैं...
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊



कविताऐं, यादें


गांव छूटा
राज्य छूटा
परदेश में बस गए हम...
हमारी संस्कृति ना छूटे
ये ले लो प्रण...

रेखा चित्र : एक उत्तराखंडी आधुनिक बाला आंखों में काला चश्मा और पारंपरिक पुछोड़ा पहने हुए.. सच में ग्रामीण लोग बदल रहे हैं..
😊😊😊😊😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀



भीगे पेड़ मेरे
बरसा जो पानी यहां......
जल्दी आजा 
ए हरियाली
बिन बीज बोए यहां....
हरे भरे खेत मेरे
ओह हो हो.....

😆😆🙂🙂😀😀🌱🌱🌷🌷☘️☘️


कल कल छल छल करती 
सुंदर गीत सुनाती गंगा,
गाँव, खेत, मैदान, नगर, या वन,
सबकी प्यास बुझाती गंगा
हे मां गंगे आपको बारंबार प्रणाम...

अगस्त 2019 : हरिद्वार 


रात ने कहा
शुभ रात्रि मित्रो
अब सो जाओ
नई सुबह की आस में
सपनों में खो जाओ।
😀😀😀😀😀😀😃😃😃🔆🔆🔆🔆😊😊



कविताऐं

सोचता हूं मैं...

इन बड़े बड़े से
अनजाने शहरों में 
ऊंची ऊंची बिल्डिंग्स वाले
खूबसूरत शहरों में 
आदमी मौन है
लिफ्ट बोलती है
Eighth floor
(आठवां माला आ गया)
वाह रे टेक्नोलॉजी
कमाल है तेरा
इंसान को फिर से
अंगूठा छाप और
मौन कर दिया है.....
😁😁😁😁😁🙂🙂🙂🙂😀🙂🙂🙂


कविताऐं

छोड़ दिए मैने उन 
सवालों को
रिश्तों को
दोस्तों को
रास्तों को
सपनों को
जिनसे कोई 
ज़बाब ना मिले.....
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂


हर शख्स व्यस्त है यहां
किसी का मन खाली नहीं
कोई नफरत पालता है
कोई प्रेम
कोई दर्द में डूबा है
कोई यादों में.....
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂😊😘😘😘👍👍👍


अंधेरों की चर्चा, तो 
सरे आम होती है...
उजालों पे ना जाने क्यों, 
दुनिया खामोश हो जाती है ....
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊


लॉकडौन से पहले
खूब घूमते थे
गाड़ी उठाई
चल देते थे...

बहुत मज़ा आता था
जब पहाड़, पानी और जंगल
के बीच से गुजरते थे...

कभी मेट्रो, कभी बस,
तो कभी ट्रैन 
जो मिल जाए
बैग उठाये चल देते थे...

मंजिल अपनी
कभी गांव
कभी मंदिर
कभी समुद्र का किनारा...

ये क्या????
कोरोना काल 
घरों में कैद सब
चलो कहीं चलते हैं
जहां मस्त लहरातीं फसलें हो
डाल पर बैठी चिड़िया गाती हो
बहते झरने हों
हरे भरे पहाड़ हों
जहां सुकून हो 
जहां शांति हो
चलो चलते हैं
एक ऐसे ही 
गगन के तले.....
😀😀😀😊😊😊😊😊😊😊😊😊🌹☘️🌱🌾


रात ने विदाई ली
चांद भी खिसक लिया
चिड़ियां चहचहाने लगी
लो सूरज आ गया...

गरम चाय के प्यालों से
दिन की शुरुआत होगी
अखबार सनसनी देगा
दिन मेँ क्या करना है
हर कोई सोचेगा...
😐🙏😀🙏🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂


कविताएं

वसुधैव कुटुंबकम्........

जिंदगी क्या है??
हम फ्लैट वालों से सीखिए
मिलजुलकर मस्त रहते हैं
फ्लैटस में रहते हैं हम..

वो प्यारे से अंकल हमारे
प्यारी सी भाभियां 
कुछ खामोश से दादाजी
आंटियां भी मस्त रहती हैं यहां
फ्लैटस में रहते हैं हम..

परिवारों के दरवाजे
एक आंगन में खुलते हैं
रोज़ प्रेम से हाय हेलो कहते हैं
फ्लैट्स में रहते हैं हम..

वो दिवाली हो या होली
मिलकर अपार्टमेंट सजाते हैं हम
मिठाई नमकीन की खुशबू
मिलकर मौज उड़ाते हैं हम
फ्लैट्स में रहते हैं हम..

जिन्दगी ना तेरी या ना मेरी
भगवान की दिया है सब कुछ
वसुदैव कुटुम्बकम को
दिल से लगाते हैं हम
यारो फ्लैट्स में रहते हैं हम..
😊😊😊😊😁😁😁😁🌞😁🌞🌞🌞😁🌞


मुझे शौक नहीं है पीने का....

इतना पियो
की लब खामोश रहें...
ये जमाना भी ना
गिर गया तो 
कोई उठाता नहीं
गिरे हुए को 
और गिराते हैं लोग.....
😊😊😊☺️☺️😁😁☺️☺️😊😊😊😊😃😊,😁😁


पीने वाले...

बड़े मासूम होते हैं
ये पीने वाले...
अक्सर मेहख़ानों में
वक्त जाया करते हैं..

😊😊😊😃😃😃😃😃😃😃😃🧁🧁🧁🧁


स्केच

उन्होंने कहा
आप चुप चुप से रहते हो
हमने कहा
नो बकवास सीधी बात..
🤥🤥🤥🤥🤥🤥🤥🤥🤥🌞🤥🤥🌞🌞🌞😁😁


मुस्कुराहट मेरी, 
वजह तुम 
गीत मेरे, 
धुन तुम
बियर मेरी, 
नशा तुम
छाया जो सुरूर 
वो भी तुम
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂


लोग जीते है
मरते हैं
वो जिंदगी ही क्या
जिसमे twist ना हो...
😁😁😁😁🌞🌞🌞🙂🙂🙂🤥🤥🤥🌞🙂🙂😁


जब तुम थी तो 
बारिश मेरी जिन्दगी थी
इस बार तो 
सिर्फ आसूं टपक रहे है.....
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂


कविताएं


कोई दे दे पंख मुझे
परिंदा बन उड़ना चाहता हूँ
मंज़िल नहीं ये जमीं मेरी
आसमान छूना चाहता हूँ...
😃😃😃😃🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🧁🧁🧁🧁🧁🧁


घनघोर काली घटाएं
गरजते बादल
दिन में रात का सा अहसास
अरे ये तो बारिशों का मौसम है
मौसम मौसम, लवली मौसम...
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂


मैं कैसे करूं
सुबह का इंतजार
मुझे रातभर
नींद नहीं आती
🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🤥🤥🤥🤥🤥🤥🤥🤥🤥🤥



When I read or write, I feel joy within my soul. I write to share my feelings about life and others in a beautiful way.

Reading and writing make me happy because when I read and write, I feel the experience of life's pain and joy.

Start reading and writing. You can read atleast two pages daily and write a page on any subject, it may be anything.

Have a joyful day.
www.gkkidiary.blogspot.com
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🧁🍅🍅🍅🙂🙂🙂

सावन बरसे


मैने
फिर से
कलम पकड़ ली
या यूं कहो
कलम ने फिर से
मुझे जकड़ लिया
कहने लगी.... 
मुझसे बच के जाएगा कहां......
🙂🙂🙂🙂😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀



2017 :  सावन की यादें
मौसम का तकाजा है
पेड़ो को भी बारिश का अंदाज़ा है
कैसे खिले हैं चेहरे इनके
मौसम जो खुशगवारा है
भीगे भीगे पत्तों पर 
बारिश की बूँदों ने
इन्हें खूब संवारा है
😀😀😀😀😀😀🔆🔆🔆🔆😀😀😀😀😀


मौसम
आज इंद्रदेव की सब पर कृपा है
बरस रहे हैं जम कर
श्रावण शिवरात्रि पर शिव खुश है
हे परमपिता आपकी  जय हो........
😀😀😀😀😀😀😀😀😀🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞


एक तन्हा 
बारिशों की शाम
मैं और मेरी साईकिल 
फिर से यादों के सफर में.......
😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀


2017 : सावन और तुम
बरखा रानी क्या बरसीं 
प्रकृति ने  इनको भी संवारा है
ये सावन का नज़ारा है........
😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😁😁😁


जिंदगी 
सवालों से घिरी एक जंग 
जबाब ढूंढ़ते ढूंडते 
एक दिन जिंदगी ही ख़त्म हो जाती है.....





कविताऐं, यादें,


बारिश....
बारिश की बूँदों ने
कमाल दिखलाया है
खेतो को पानी
पेड़ों को नहलाया है
ओ प्रकृति प्रेमियों 
स्वागत करो इस ऋतु का
बारिश का मौसम आया है
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂😀😀😀😀😀😀😀😳

जिंदगी ; एक जंग....
कंक्रीट के जंगल
बिल्डिंग के पीछे से
झांकता सूरज
एक अलसाई सुबह
चाय की चुस्कियां
और फिर वही
जिंदगी की दौड़......
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂


बुद्ध....
Buddham sharanam gacchâmi. 
बुद्धं शरणं गच्छामि ।
Dharmam sharanam gacchâmi. 
धर्मं शरणं गच्छामि ।
Sangham sharanam gacchâmi. 
संघं शरणं गच्छामि ।।

Translation......
I go for refuge in knowledge,
I go for refuge in teachings,
I go for refuge in community.
😀😀😀🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂😳😳😳

कविताएं,

कविताऐं


एक नज़र.......
एक नज़र देख लूं
उन बीते हुए लम्हो को
ए लम्हो
कुछ पल ठहरो..
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂


जीवन एक संगीत.....
आओ गीत गाएँ
आनंद लें संगीत के सात स्वरों का
संगीत तो है कृष्ण की बंसी
माँ सरस्वती का सितार
भगवान शिव जी का डमरू
आओ संगीत का आनंद लें
संगीत बिन सब सून..
🙂🙂🌞🌞🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂



तृष्णा..
आपके पास मारुति हो या बीएमडब्ल्यू -
रोड वही रहेगी.
आप इकॉनामी क्लास में सफर करे या बिज़नस में, -
आपका वक्त तो उतना ही कटेगा.
आप टाइटन पहने या रोलेक्स, -
समय वही रहेगा.
आपके पास एप्पल हो या सेमसंग - आपको कॉल लगाने वाले
लोग नहीं बदलेंगे..!
भव्य जीवन की लालसा रखने या जीने में कोई बुराई नहीं हें,
लेकिन सावधान रहे
क्योंकि जरूरते पूरी हो सकती हें,
तृष्णा ( इच्छा )नहीं..

नोट : और इसी तृष्णा को पूरी करने के लिए इंसान गलत कदम उठाने लगता है.. सादा जीवन उच्च विचार.. सुखी जीवन का आधार😊😊
साभार : फेसबुक
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂


कविताऐं, प्रतिभा

बारिशों का मौसम..........
ये बारिशों का मौसम है
लफ्जों में पिरो दूँ तुम्हें, 
या एहसासों में रहने दूँ. ... 
साँसो में बहने दूँ तुम्हें, 
या फ़िजाओ में बिखेर दूँ... ....
पलकों में छुपा लूँ तुम्हें, 
या रूह में बसा लूँ... ....
 इस बारिश के मौसम में, 
तुम्हे क्या सज़ा दूँ,...



ये शाम मस्तानी.....
कभी शाम को मिलो 
अदरक वाली चाय पीयेंगे 
हम अपने "मन की बात" कहेंगे
तुम कोई किस्सा सुनाना
इसी तरह ये शाम गुजारेंगे..




ओल्ड मोंक और मैं.....
Old Monk Has Followers... 
Not Fans
🙂🙂🙂
Two monks together
Follower of each other....
दो संन्यासी, साथ साथ
एक दूसरे का थामें हाथ....
😀😀😀😀


यादें, कविताएं



आज मैं आपको उत्तराखंड के प्रसिद्ध गीत से रुबरु करता हूँ इसे गोपाल बाबू गोस्वामी जी ने बड़े ही भावनात्मक रूप से गाया है....

बेडु पाको बारो मासा, 
ओ नरणी काफल पाको चैता मेरी छैला 
भुण भुण दिन आयो, 
नरण बुझ तेरी मैता मेरी छैला 
बेडु पाको बारो मासा - 
ओ नरण काफल पाको चैता मेरी छैला 
आप खांनी पान सुपारी - 
ओ नरण मैं भि लूँछ बीडी मेरी छैला  
बेडु पाको बारो मासा - 
ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला 
अल्मोडा की नंदा देवी, 
नरण फुल चढूनी पात मेरी छैला 
त्यार खुटा मा कांटो बुड्या, 
नरणा मेरी खुटी में पीडा मेरी छैला 
बेडु पाको बातो मासा 
अल्मोडा को लल्ल बजारा, 
नरणा लल्ल मटा की सीढी मेरी छैला 
ओ बेडु पाको बारो मासा, 
ओ नरेन काफल पाको मेरी छैला
🌞🌞🌞🌞🌞🔆🔆🔆🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂


तुम याद आए.....

मैं रूठा, तुम भी रूठ गयी
फिर मनाएगा कौन ?
आज दरार है, कल खाई होगी 
फिर भरेगा कौन ?
मैं भी चुप, तुम भी चुप 
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ?
बात छोटी को लगा लोगी दिल से, 
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?
दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर, 
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?
न मैं राजी, न तुम राजी, 
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ?
डूब जाएगा यादों में दिल कभी, 
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?
एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी, 
इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ?
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें....
तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन ?

यह कविता : फेसबुक के सौजन्य से 
🌞🌞🔆🔆🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂

कविताएं, स्केच, यादें

हमसफर........
उसे नयी फिल्मे पसन्द हैं
मुझे पुरानी ।
वो अदरक की चाय नही छोड़ती
और मुझे कॉफी पसन्द है ।
उसे बंद कमरे की "ए सी" थंडक पसन्द है
और मुझे लहराती हुई डालियों से छनके आती हवाएं। 
उसे शांत लोग नहीँ बातूनी पसन्द है
और मुझे शांत रहकर उसे सुनना पसंद है ।
उसकी बातों में महँगे शहर और पहाड होते हैं
और मुझे डूबते सूरज वाला पहाड पसन्द है।
कितने बरस बिताये हैं साथ साथ 
फिर भी, उम्र के इस मुकाम पर
ना वो बदली ना मैं बदला ।
😀😀😀😀😀😀🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞


याद.........
रूबरू ना मिल पाएं तो
चलो शब्दों से नमन करते हैं
इतना ही अहसाह काफी है
सुबह शाम याद तो करते हैं..
🔆🔆🔆🌞🌞🌞🔆🔆🔆🌞🌞🌞🙂🙂🙂

अश्क..........
दर्द कभी आखरी नहीं होता ,
अपनी आँखों में अश्को को बचा कर रखना ....
सूरज तो रोज ही आता है मगर ,
अपने दिलो में भी "यादों के दीप" जलाये रखना....
🌞🌞🙂🙂🌞🌞🙂🙂🌞🌞🔆🔆🔆🔆🔆🔆

इस कदर स्वार्थी हो गए हैं 
मेरे शहर के लोग 
जब अपने पर बीतने लगी, 
तो बिलबिलाने लगे
😀😀😀😀😀🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂



कविताएं, यादें, स्केच


कहाँ से चले थे
कहां रुक गये 
यादों के दरिया में
अरमान बह गये ...
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂


शरमा जाती हैं 
यादें भी
जब सुहाने पल
याद आते हैं...
😀😀😀😀🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂


राजस्थान 
पधारो म्हारे देश
अवतरित हुए जहां
ममहाराणा प्रताप
पहनकर बहादुरी का भेष..
बचाई लाज हिंदुस्तान की
वीरों की रख ली लाज...
वीर भूमि राजस्थान को 
नित नित करूँ प्रणाम
जय राजपुताना
जय जय राजस्थान..
😊😊😊😊😊🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂


हे प्रभु, 
नास्तिक तो नहीं था मेँ .....
बच्चियों पर दरिन्दगी,
नास्तिक बनने को मजबूर में..
😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭