यादों की कविता से
उजाले अपनी यादों के
हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में
जिंदगी की शाम ढल जाए ।
सुबह होती है तो दिल कहता है की तुम आओगे
में नए फूल पिरोती हूँ तुम्हारे खातिर
जब शाम होती है तो हर फूल टूट कर भिकार जाता है।
में तन्हाई में रोती हूँ तुम्हारे खातिर ॥
उजाले अपनी यादों के
हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में
जिंदगी की शाम ढल जाए ।
सुबह होती है तो दिल कहता है की तुम आओगे
में नए फूल पिरोती हूँ तुम्हारे खातिर
जब शाम होती है तो हर फूल टूट कर भिकार जाता है।
में तन्हाई में रोती हूँ तुम्हारे खातिर ॥